हमें जीवन में कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्यूंकि इसका परिणाम अंत में बुरा ही होता है, इस बात को अच्छी तरह समझने के लिए मैं एक कहानी शेयर कर रही हूं ।
एक व्यक्ति नारियल खरीदने के लिए बाजार गया। नारियल बेचने वाले ने एक नारियल की कीमत दस रुपए बताई। वह व्यक्ति बोला, “मैं तुम्हें एक नारियल के पाँच रुपए दूंगा।”
नारियल बेचने वाले ने कहा, “यदि तुम्हें पाँच रुपए में नारियल चाहिए तो यहाँ से दो मील दूर थोक बाजार में मिल जाएगा।” वह व्यक्ति दो मील चलकर थोक बाजार पहुँचा।
वहाँ उसने नारियल बेचने वाले से कहा, “मैं तुम्हें एक नारियल के तीन रुपए दूँगा।” नारियल बेचने वाला बोला, “यहाँ से तीन मील दूर समुद्र किनारे तुम्हें तीन रुपए में नारियल मिल जाएगा।”
तब वह व्यक्ति समुद्र किनारे पहुँचा। वहाँ उसने कहा, “मैं एक नारियल के एक रुपया दूँगा।” नारियल बेचने वाला बोला, “एक रुपया! नहीं, मैं इतने में नारियल नहीं दे सकता।” नारियल बेचने वाला उसे सुझाव देते हुए आगे बोला, कि अगर मुफ्त में नारियल चाहिये तो पेड़ पर चढ़ जाओ और जितने चाहो तोड़ लो |
तब वह व्यक्ति एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन फिसलकर जमीन पर गिर जाने से उसका पैर टूट गया। अब उसे अपने इलाज पर पाँच हजार रुपए खर्च करने पड़े। इस तरह मुफ्त का नारियल पानी का चक्कर उसे बहुत भारी पड़ा।
यह व्यक्ति न तो बाजार जाना चाहता था और न ही पैसे खर्च करना चाहता था। लालच , सुरसा के मुँह की तरह फैलती ही चली जाती है। तभी कहा गया – लालच बुरी बला ! जरूरतों का अंत है पर लालच का नहीं।
नैतिक शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए l ज्यादा लालच से हमें नुकसान भी हो सकता है l