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भगवान श्री कृष्ण की रहस्यमयी साधना

अद्भुत मायावी शक्तियों पर विजय पाने और देवतुल्य सामर्थ्यवान बनने के लिए भगवान श्री कृष्ण की साधना इस युग में अति-उत्तम है। इनकी साधना से आपका सहस्त्रार चक्र जाग उठता है और ज्ञान की कुंडली जाग उठती है जिससे लोक-परलोक आदि के सारे रहस्य खुल जाते हैं।

इस साधना से बहुत तीव्र बुद्धि आती है जिससे साधक एक सूक्ष्म प्रयोग कर अनुकूल क्रन्तिकारी परिवर्तन संसार में ला सकता है। इस साधना से आकर्षण, सम्मोहन और वशीकरण करने की शक्ति स्वतः जाग जाती है और वह वास्तविक धर्म को परिभाषित करता है। इसमें कोई शक नहीं कि यदि बताये अनुसार सही तरीके से इनकी साधना कर ली जाए तो साधक श्री कृष्ण से जुड़ जाता है। वह अद्भुत माया-जाल फैला सकता है और वह खुद माया से मुक्त बना रहता है।

उनके एक-एक कहे शब्द सत्य साबित होते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि आगे क्या होने वाला है।

वर्तमान युग में ऐसी परिस्थितियां बन रही है कि सही दिशा देने के लिए यह साधना एक आवश्यक अंग बन गया है। अतः संसार के कल्याण के लिए और भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा पाने के लिए यह साधना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। महाभारत होने वाला है – मैं अपने सभी प्रिय साधकों को यह साधना करने का निर्देश देता हूँ।

यदि साधक अपने अनुकूल कुछ योगासनों का अभ्यास करता है और उसके बाद यौगिक क्रियाएं और प्राणायाम भी करता है तो उन्हें तीव्रता से सिद्धि मिलना आरम्भ हो जाता है और भगवान् श्री कृष्ण के प्रत्यक्ष दर्शन लाभ भी होंगे। यदि इनकी साधना से भगवान् श्री कृष्ण के दर्शन लाभ हुए तो साधक के मन-आत्मा से ये जुड़कर एकाकार हो जाते हैं और श्री कृष्ण के सामान वह हो जाता है।

यदि साधक यौगिक क्रियाएं आदि नहीं भी करता है तो सभी प्रकार से श्री कृष्ण की कृपा होती ही है और वह संसार के लिए कल्याणकारी कार्य करने में समर्थ हो उठता है।

सच कहा जाए तो आप इनकी साधना से कल्कि अवतार से कम नहीं होंगे, अर्थात- आप ही हैं कल्कि अवतार जिसमे अद्वितीय दिव्य शक्तियों का भंडार होगा जिससे आप पुनः युग को सुधार सकते हैं और कंस-युग से लोगों को मुक्ति दिला सकते हैं।

मैंने बहुत कम शब्दों में आपको बताने का प्रयास कर रहा हूँ और मुझे विश्वास है कि आप कम शब्दों को विस्तार से समझ पा रहे होंगे।

। अतः मैं यौगिक विधान के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण की अद्भुत साधना बताने जा रहा हूँ जिससे आपको 100 प्रतिशत सफलता मिलेगी।

कैसे करें यह साधना –

दीक्षा – इस साधना को सिर्फ देख-समझ कर न करें। साधना की दीक्षा लेकर ही साधना करें।

ब्रह्मचर्य – ब्रह्मचर्य के बारे में बताया जा चूका है कि जहाँ तक संभव हो, ब्रम्हचर्य ही रहें।

जप माला – संस्कारित रुद्राक्ष या तुलसी की माला साधना कर सकते हैं। नीले हकीक की माला भी सर्वोत्तम है।

आसन और वस्त्र – लाल,पीला, नीला या सफ़ेद-क्रीम।

साधना की दिशा – साधना शुरू करने का जो मुहूर्त और दिन बताया जाएगा, उस अनुसार दिशा का चुनाव कर साधना कर सकते हैं। साधारणतः पूरब, पश्चिम या उत्तर दिशा होकर साधना की जाती है।

साधना का समय – कोई भी एक निश्चित समय।

साधना स्थल : साधना स्थल पर जलाने के लिए घी की दीपक।

गणपति जी को नमस्कार करने के बाद भगवान् श्री कृष्ण की साधना करें।

मूलमंत्र है -OM SHREENG KREENG KRISHNAYAI HOOM FATT ( 33/ 6 )

ॐ श्रीँग क्रींग कृष्णायै हूम फट

उक्त मंत्र में साधक अपनी जन्मतिथि, राशि और लग्न के अनुसार उपयुक्त बीज-मंत्र लगा लें जिसे दीक्षा के बाद बता दी जाएगी।

सुबह खाली पेट में योगाभ्यास, क्रिया और प्राणायाम से निपट लें और उसे बिना कोई ढील किये अभ्यास जारी रखें और किसी भी समय से मंत्रजप /साधना के लिए और अच्छी सफलता के लिए 15 माला जप करना चाहिए। इस प्रकार 51 दिन साधना करनी है।

इस साधना को वर्ष में तीन बार करेने से पूर्ण सिद्धि हो जाती है और भगवान् श्री कृष्ण के दर्शन भी होते हैं।

इस साधना को करना बहुत सरल है। इसमें दशांश हवनादि कर्म करने की आवश्यकता नहीं है। आपका प्रेम और श्रद्धा ही आपको सिद्धि दिलाएगा।

हे नारायण ,आपका कोटी कोटी धन्यवाद है

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