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नाथ नारायण वासुदेवा


श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा
श्री कृष्ण गोविंद….

मैया यसोदा हरि को  जगाए
हे लाल जागो अब नैन खोलो
द्वारे खड़े गोप बुला रहे है,
हे नाथ नारायण वासुदेव,

सच्चे सखा है हरि ही हमारे,
माता पिता शील सुबंधु प्यारे,
भूलो ना भाई दिन रात गाओ,
हे नाथ नारायण वासुदेव…

देहांत काले तूम सामने हो,
वंशी बजाते मनकों लुभाते,
गाते यही नाम तन को मैं त्यागु,
हे नाथ नारायण वासुदेव…

गोविंद मेरी यही प्रार्थना है,
भूलू ना मैं नाम कभी तुम्हारा,
निष्काम होकर सदा भजु मैं,
हे नाथ नारायण वासुदेव….


श्रद्धा से हमने श्री हरि यश को गाना है
हरि नाम की महिमा को जग ने माना है

प्रभु नाम की ज्योति से जग उजियारा है
सूरज चंदा तारों में स्वामी तेज तुम्हारा है

स्नेह छाया में उनकी जीवन यह बिताना है
श्रद्धा से हमने श्री हरि यश को गाना है

दुनियां भँवर इक है हरि नाम किनारा है
जीवन नैया का हरि पतवार सहारा है

झूठें है सब रिश्ते अब हमने जाना है
श्रद्धा से हमने श्री हरि यश को गाना है

हरि नाम की महिमा को जग  ने माना है
डाली डाली फूलों में कण कण में समाया है

सबमें प्रभु की माया जिसने संसार रचाया है
मन हो पावन उसमें प्रभु को बिठाना है

श्रद्धा से हमने श्री हरि यश को गाना है
हरि नाम की महिमा को जग ने माना है

स्नेह छाया में उनकी जीवन यह बिताना है
हरि नाम की महिमा को जग ने माना है………

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