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कैसे भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश हाथों में जाने से बच गई –

 

हमें भारतीय सेना पर हमेशा से ही गर्व रहा है क्योंकि भारतीय सेना में ऐसे लाखों नायक है जो हमेशा देश के लिए प्राण न्योछावर करने तैयार रहते है| हम हैप्पीहिंदी.कॉम पर ऐसे ही एक नायक की कहानी share कर रहें है, जिनकी बदौलत भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश हाथों में जाने से बच गई:

A STORY OF BRAVE INDIAN ARMY OFFICER

भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना के प्रथम चीफ कमांडर(Commander in Chief of Indian Army) को नियुक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मीटिंग का आयोजित हुई जिसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के अलावा देश के गणमान्य लोग उपस्थित थे|

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा – “मुझे लगता है कि हमारे पास अधिक अनुभव नहीं है इसलिए हमें किसी ब्रिटिश अधिकारी को भारतीय सेना का चीफ कमांडर बनाना चाहिए”

सभी लोग प्रधानमंत्री के इस सुझाव से सहमत थे तभी एक व्यक्ति ने कहा – “श्रीमान मुझे एक बात कहनी है|”

नेहरु ने कहा – “जरूर! आप अपनी बात कहने के लिए स्वतन्त्र है|”

उस व्यक्ति ने कहा – “सर आप जानते है कि हमारे पास देश का नेतृत्व करने के लिए पर्याप्त अनुभव नहीं इसलिए क्यों न हमें किसी ब्रिटिश व्यक्ति को इस देश का प्रधानमंत्री बना देना चाहिए?”

उस व्यक्ति की बात सुनकर मीटिंग में सन्नाटा छा गया|

तभी नेहरु जी ने उनसे कहा – “क्या आप इस देश के सेना प्रमुख बनना चाहेंगे”

उस व्यक्ति के पास भारतीय सेना का प्रमुख बनने का अच्छा अवसर था लेकिन उन्होंने यह अवसर ठुकरा दिया और कहा –“सर हमारे देश में बहुत अच्छे ऑफिसर है, मेरे सीनियर के. एम. करिअप्पा(Field Marshal K M Carriappa) हम में से सबसे योग्य अधिकारी है|

भरी मीटिंग में प्रधानमंत्री के सामने आवाज उठाने वाले वह निर्भीक जाबांज व्यक्ति लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठौड((Lt. General Nathu Singh Rathore)) थे|

लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठौड के सुझाव के बाद जनरल के. एम. करिअप्पा (K M Kariappa) देश की सेना के सबसे पहले चीफ कमांडर बने और आजाद भारत की सेना की कमान ब्रिटिश हाथों में जाने से बच गयी|

In English

We have always been proud of the Indian Army because there are millions of heroes in the Indian Army who are always ready to take life for the country. We are sharing stories of such a hero on HappyHindi.com, thanks to which the command of the Indian Army escaped from the British hands:

A STORY OF BRAVE INDIAN ARMY OFFICER

Following India’s independence, an important meeting was organized to appoint the Indian Army’s Commander in Chief of Indian Army, in addition to Prime Minister Jawaharlal Nehru, dignitaries of the country were present.

Prime Minister Jawaharlal Nehru said – “I think we do not have much experience, so we should make any British officer the Chief Commander of the Indian Army”

Everyone agreed with the suggestion of the Prime Minister, then one person said, “Sir, I have to say one thing.”

Nehru said – “Sure! You are free to speak your own words. ”

The person said, “Sir, you know that we do not have enough experience to lead the country, so why should not we make any British person the Prime Minister of this country?”

Listening to that person, the meeting was filled with silence.

Then Nehru said to him – “Would you like to be the army chief of this country?”

The person had a good opportunity to become the head of the Indian Army but he turned down this opportunity and said, “Sir is a very good officer in our country, my senior. Field Marshal K M Carriappa is the most qualified officer of us.

The courageous Jabanjan, who raised the voice in front of the Prime Minister in a strong meeting, was Lieutenant General Nathu Singh Rathore (Lt. General Nathu Singh Rathore).

After the suggestion of Lieutenant General Nathu Singh Rathod, General K. M. Kariappa became the first Chief Commander of the army of the country and escaped from the British hands under the command of the Free India.
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