ओ कान्हा ओ कान्हा ना मुझको इतना सता
ओ राधे ओ राधे थोडा सा माखन चखा,
मटकी तू काहे फोड़े है बहियाँ मरोड़े है ओ कान्हा
काहे तू मोहे सताता है मोहे रुलाता है ओ कान्हा
छोड़ेगे ना तुझको राधे पेहले माखन चखा
ओ कान्हा ओ कान्हा ना मुझको इतना सता……
दहिया को बेचने जब रस्ते पे आऊ,
रस्ते पे ग्वालो संग तोहे बैठा पाऊ,
जाने दूंगा तुझको टैक्स पेहले मेरा चूका
ओ कान्हा ओ कान्हा ना मुझको इतना सता…….
बेदर्दी सखियों के चीर को चुराए,
चोरी से चुपके से माखन तू खाए
देदे राधे देदे राधे मटकी मोह से न छुपा
ओ कान्हा ओ कान्हा ना मुझको इतना सता……
मैया से बाबा से शिकयात मैं लगाऊ
यशोमत मैया से तोहे मैं पित्वाऊ
चन्दन देदे नोत्न फिर पीछे तू पिटवा,
ओ कान्हा ओ कान्हा ना मुझको इतना सता………………..