पण्डित नरेन्द्र शर्मा से जुड़ा एक रोचक किस्सा है, जिसका सम्बन्ध प्रख्यात अभिनेता दिलीप कुमार के फिल्मी नामकरण से है। कहा जाता है कि दिलीप कुमार (जन्म का नाम: यूसुफ़ खान) को यह फिल्मी नाम नरेन्द्र शर्मा की सलाह पर ही दिया गया था।
बात उन दिनों की है जब प्रख्यात अभिनेत्री और बॉम्बे टॉकीज की स्वामिनी देविका रानी ने अपने प्रोडक्शन हाउस की फिल्म ‘ज्वार-भाटा’ (1944) के लिए एक बिल्कुल नए अभिनेता यूसुफ खान को चुना था। यह तय किया गया कि इस युवा अभिनेता को कोई दूसरा नाम दिया जाए। कहा जाता है कि उन्होंने नरेंद्र शर्मा (जिन्होंने इस फ़िल्म के गीत भी लिखे थे) से इस बारे में कहा। उनके आग्रह पर नरेन्द्र शर्मा ने दो नाम सुझाये। एक नाम था वासुदेव और दूसरा दिलीप कुमार।
देविका रानी को ‘दिलीप कुमार’ नाम पसंद आया और उस नवोदित अभिनेता को यह नया नाम मिल गया। वैसे, कुछ लोग इस घटना को प्रसिद्ध उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा (जो उन दिनों फिल्मों के लिए भी लिखते थे) से जोड़ते हुए यह दावा करते हैं कि यूसुफ़ खान को दिलीप कुमार नाम उनके सुझाव पर दिया गया था। शायद यह भी हो सकता है कि भगवतीचरण वर्मा और नरेन्द्र शर्मा दोनों साहित्यकारों ने आपसी विचार-विमर्श के बाद संयुक्त रूप से यह नाम देविका रानी को सुझाया हो।
प्रसिद्ध फ़िल्म गायिका लता मंगेशकर पण्डित नरेन्द्र शर्मा का बहुत सम्मान करती थीं और उन्हें पिता समान मानती थीं।
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