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गरीब विद्वान व राजा भोज कैसे बन गए भाई-भाई

 

कई वर्ष पहले धार में राजा भोज का शासन था। उस राज्य में एक गरीब विद्वान रहता था। आर्थिक तंगी से घबराकर एक दिन विद्वान की पत्नी ने उससे कहा-आप राजा भोज के पास क्यों नहीं जाते? वह विद्वानों का बड़ा आदर करते हैं। हो सकता है आपकी विद्वता से प्रभावित होकर वह आपको ढेर सारा धन दे दें।

विद्वान राजा के दरबार में पहुंचा। पहरेदार ने पूछा-आप कौन हैं? कहां जाना है? विद्वान ने कहा- जाओ राजा से कहो कि उनका भाई आया है। पहरेदार ने जब भोज को यह बात बताई तो वह सोचने लगे- ‘मेरा तो कोई भाई है नहीं है फिर कौन हो सकता है। कहीं कोई धूर्त तो नहीं।’ उनकी उत्सुकता जागी। उन्होंने विद्वान को बुलवा लिया।

कैसे हुए भाई-भाई

भोज ने विद्वान से पूछा-क्या तुम मेरे भाई हो? किस नाते से? विद्वान ने कहा- मैं आपका मौसेरा भाई हूं। आपकी मौसी का लड़का। भोज ने पूछा, कैसे? मेरी तो कोई मौसी नहीं है।
विद्वान बोला-महाराज। आप संपत्ति माता के पुत्र हैं और मैं विपत्ति माता का पुत्र। संपत्ति और विपत्ति बहनें हैं। इस नाते मैं आपका मौसेरा भाई हुआ न। यह सुनकर भोज बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं विद्वान को दीं।
फिर भोज ने पूछा- मेरी मौसी तो कुशल हैं न? इस पर विद्वान ने जवाब दिया-राजन्, जब तक आपकी मौसी जीवित थीं, आपके दर्शन नहीं हुए थे। अब आपके दर्शन हुए तो आपकी मौसी स्वर्ग सिधार गईं। इस उत्तर से भोज को और भी प्रसन्नता हुई। उन्होंने विद्वान को गले से लगा लिया।

In English

Several years ago, King Bhoj was ruled by Dhar in the Dhar. A poor scholar lived in that state. One day fearing financial hardship, the scholar’s wife asked him- Why do not you go to the king’s banquet? He respects the scholars very much. May be influenced by your scholarship and give you a lot of money.

The scholars reached the king’s court. The watchman asked, who are you? Where to go? The scholar said, – Tell the king that his brother has come. When the watchman told this matter to the banquet, he started thinking, ‘I have no brother, no one else who can be. There is no cunning anybody. ‘ Their curiosity place. He summoned the scholar.

How are you brother

Bhoj asked the scholar: Are you my brother? From what? The scholar said – I am your cousin brother. Your aunt’s boy Bhoj asked, how? I am not an aunt.
The wise said – Maharaj You are the son of the property mother and I am the son of the misfortune mother. Property and misfortune are sisters. In this way I was your cousin brother The banquet was very happy when they heard this. He gave a lot of gold currencies to the scholar.
Then the banquet asked- my aunty is so efficient or not? The scholar replied on this: “Rajan, till your aunt was alive, your vision was not there.” Now you see your aunt heaven The ban was more than the ban from this reply. He hugged the scholar with the throat.

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