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प्रेम पवित्र है पूजनीय है इसे कलंकित मत करो .

गली मोहल्ले चौराहे पर बैठकर दोस्तो के बीच मदस्मत होकर अपनी अय्याशी की वीरगाथा सुनाते महानुभावों से अनुरोध है कि इसे पढ़ें..❤️🙏

कभी कभी एक से अधिक स्त्री के साथ प्रेम का स्वांग रचने वाला पुरूष खुद को बड़ा चालाक और सक्षम समझता है उसे ऐसा लगता है जैसे एक से अधिक स्त्रियों के साथ प्रेम प्रसंग करके उसने बहुत बड़ा तीर मार लिया है ।

कभी कभी मैं ने खुद देखा है ऐसे पुरुषों को अपने मित्रों के समक्ष अपनी इस कुकृत्य का अतिश्योक्ति वर्णन करते हुए । और अपने इस कार्यक्रम को इतने दृढ़ता से बताते हैं जैसे लगता है प्लासी का युद्ध जीतकर आये हों ।

हे भद्र पुरुषों यदि तुम किसी स्त्री को प्रेम के सपने दिखाकर अपनी झूठी मुठी भावुकता में फांसकर उसके साथ यदि छल करते हो तो इसे अपनी चालाकी या समझदारी मत समझो अपितु ये सोचो कि उसने तुम पर कितना भरोसा किया तुमको किस हद तक अपना माना .!! और तुमने उसे बदले में क्या दिया ।

उस स्त्री ने निःस्वार्थ प्रेम के चाहत में तुमपर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया प्रेम की चाहत में देह दान कर दिया और तुम ?? तुम्हारा तो लक्ष्य ही देहप्राप्ति मात्र था तुमने ये सारे प्रेम रूपी जाल केवल अपनी कामवासना पूर्ति के लिए ही बिछाए थे और वह भोली स्त्री जो तुमपर लेशमात्र भी सँकोच किये बगैर सर्वत्र बलिदान कर दी उसके प्रेम का मखौल उड़ाते हो ?? हे महापुरुषों यदि प्रेम रूपी नाव पर बैठ चुके हो तो उसे गंतव्य तक पहुंचाना सीखो और यदि उसमे भी सक्षम नही तो तो कम से कम उस पवित्र प्रेम का सम्मान करना सीखो । जिसने तुम्हे जाती धर्म परिवार समाज से ऊपर उठकर इज्जत दी प्यार दिया सम्मान दिया उसके सम्मान को यूँ सरेराह नीलाम करने का अधिकार तुम्हे किसने दिया ??

Source: Riyansh choudhry