रास रचाए नन्द गोपाल गोपियाँ संग वृंदावन में,
रास रचाए नन्द गोपाल राधा संग वृन्दावन में
गोपियाँ संग वृंदावन में राधा संग वृंदावन में
मुरली भजाये मधुर गोपाल गोपियाँ संग वृंदावन में
कभी श्याम मधुर मुस्काये कभी राधा को जलाए ,
की गईया चराए नन्द लाल गोकलन संग वृंदावन में
रास रचाए नन्द गोपाल गोपियाँ संग वृंदावन में,
पनघट पे कभी ले जाए झुला कदम की डार झुलाए,
की मटकी फोड़े नन्द गोपल वृंदावन की गलियां में
गणेश बताये कैसे हाल वृंदावन की गलियां में
रास रचाए नन्द गोपाल गोपियाँ संग वृंदावन में,,,,,,,,,,
जीवन की डोर तुमसे बाँधी है सांवरे
दर्शन की भीख देदो नैना है वन्वारे
जीवन की डोर तुमसे
तेरी ही याद में हम दिन रात जल रहे है
जग की है आस टूटी गिर गिर के चल रहे है
अब तो मुझे बनाले तेरा दास संवारे
जीवन की डोर तुमसे
यु न गली गली भटका डगर डगर में
दिल हो गया दीवाना मोहन तेरे मिलन में
पागल बना अब तेरा मेरे यारी संवारे
जीवन की डोर तुमसे……..