मोर मुकट मोतियाँ की माला ऐसा प्यारा रूप निराला
कारी कारी अँखियाँ कारी होठो की लाली मत्वाली
पीड बसन्ती पिताम्भर धारी,
भा गया हमे भा गया
किस प्रेमी ने इसे सजाया केसर चन्दन इतर लगाया
बांकी बांकी चितवन प्यारी
कर में मुरली जादू गारी
कनुडा गोवेर्धन धारी
भा गया हमे भा गया
नैनो से बाते ये करता कभी मचल ता कभी मटक ता
जब देखू हस्ता ही जाए प्रीत के तीर चलता जाए मेरा जी ललचाता जाए
भा गया हमे भा गया
माखन मिश्री बेगा लाओ
कनुडा का जी ललचाऊ
सारा चट मत ना कर जाना नंदू कुछ हम को दे जाना
तेरा मेरा प्यार पुराना
भा गया हमे भा गया…………..