राधे ठीक नहीं है तेरा रोज देर में आना,
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना,
अरे पनघट आजा आखिर राधा लेके बहाना पानी का,
रोज मैया न भेज के राजी केहती आज तुझे नही जाना,
राधे ठीक नहीं है तेरा रोज देर में आना|
कभी कभी तू आजा आकर रोज मुझे क्यों बुलाता है,
मैं बरसाने आऊंगा तो पड़े दूसरा भेष बनाना,
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना|
चल हो गई पक्की बात इक दिन मैं और इक दिन तू आये,
बात सही है बिना मिले तो न रेह पाए तेरा कान्हा,
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना||