रंग दे चुनरिया ओ गिरधारी कोई कहे इसे मैली चदरिया
कोई कहे इसे पाप गठरिया अपने ही रंग में रंग दे मुरारी
रंग दे चुनरिया ओ गिरधारी……
मोह माया में मन भटकाया सुमिरण तेरा न कर पाया
प्रभु ये बन्धनखोलो मेरे आया हु चरणों मे तेरे
जाऊ कहाँ तज शरण तुम्हारी
रंग दे ……
ये जीवन धन तुझसे पाया और तुझी से ये स्वर पाया
तेरी महिमा जाने न कोई मन की माला मन मे सोई
सुमोरन ज्योति जला हितकारी
रंग दे चुनरिया ओ गिरधारी…
हम बालक तुम स्वामी मेरे सुनो पुकार तुम्ही हो मेरे
जन्म जन्म का तुमसे नाता तू ही जग का भाग्य विधाता
एक तुम्ही से प्रीत तुम्हारी
रंग दे वहुनारिया……