एक समय की बात है, जर्मनी के एक गांव में जॉन नाम का एक आदमी रहता था। उसकी पत्नी का नाम नैल था। वो दोनों निसंतान थे। उनकी इच्छा थी कि उन्हें भी एक प्यारा-सा बच्चा हो जाए। इसके लिए वो रोज भगवान से प्रार्थना करते थे। एक दिन भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली और नैल गर्भवती हो गई। नैल ने तुरंत यह बात अपने पति जॉन को बताई। इस खबर को सुनकर जॉन भी काफी खुश हुआ और दोनों ने इसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया।
नैल के प्रेग्नेंट होने के बाद जॉन उसका पूरा ख्याल रखने लगा। वह उसकी हर छोटी-बड़ी ख्वाहिशों को पूरा करता था। एक दिन पति-पत्नी दोनों एक साथ खाना खा रहे थे, लेकिन नैल की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए वो वहां से उठकर बालकनी में ताजी हवा खाने आ गई। यहां उसकी नजर एक छोटे से बच्चे पर पड़ी, उसने अपने पति से कहा, ‘देखिए, वो बच्चा कितना प्यारा है’। इस पर जॉन ने कहा, ‘हां, वो तो सच में प्यारा है।’
फिर नैल बालकनी के दूसरी ओर देखने लगी, तभी उसकी नजर रॅपन्जे़ल के पत्तों पर पड़ी। उसने कहा, ‘वाह! रॅपन्जे़ल के पत्ते कितने ताजे-ताजे हैं। काश! ये मुझे खाने को मिल जाते।’ यह सुनकर जॉन घबरा गया। उसने कहा, ‘अरे! तुम ऐसा मत कहो। वो महल जादूगरनी गोथल का है। वहां जाना नामुमकिन है। वो अपने बगीचे में किसी को भी नहीं जाने देती। तुम उसकी जगह कुछ और खा लो।’ नैल नहीं मानी, वह जिद करने लगी कि उसे रॅपन्जे़ल के पत्ते खाने ही हैं।
पत्नी की जिद के आगे हार के जॉन जादूगरनी गोथल की हवेली में गया और उससे रॅपन्जे़ल के पत्ते मांगने लगा। इस पर जादूगरनी गोथल ने कहा, ‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की। तुम्हें कोई पत्ते नहीं मिलेंगे, निकल जाओ यहां से।’ इतना सुनकर जॉन मायूस होकर वहां से निकल गया, तभी उसके दिमाग में एक तरकीब आई। आधी रात के समय जॉन उठा और एक टोकरी लेकर जादूगरनी के बगीचे में गया। वहां उसने रॅपन्जे़ल के कुछ पत्ते चुराए और वहां से दबे पांव निकल गया। इस घटना को जादूगरनी ने अपनी हवेली की खिड़की से देख लिया।
अगले दिन जब जॉन ने अपनी पत्नी नैल को रॅपन्जे़ल के पत्ते लाकर दिए, तो वह खुश हो गई और अपने लिए रॅपन्जे़ल का सलाद बनाने चली गई। जैसे ही नैल सलाद लेकर खाने बैठी, तभी वहां वो जादूगरनी गोथल आ गई। उसने टेबल पर जब रॅपन्जे़ल के पत्तों को देखे और जॉन पर चिल्लाने लगी। जॉन उसकी बातें सुनकर काफी डर गया और उससे माफी मांगने लगा।
जॉन ने कहा, ‘गोथल! मुझे माफ कर दो। मैं मजबूर था। मेरी पत्नी प्रेग्नेंट है और उसे बड़ी इच्छा थी कि वह रॅपन्जे़ल के पत्तों को खाए। मैंने तुमसे पत्ते मांगे थे, लेकिन तुमने मेरी एक नहीं सुनी। आखिर में मजबूर होकर मुझे उन पत्तों को चुराना पड़ा।’
जॉन की बात सुनकर जादूगरनी गोथल ने कहा, ‘तुमने मेरे बगीचे से रॅपन्जे़ल के पत्ते चुराकर बड़ी गलती की है। इसके लिए मैं तुम्हें सजा जरूर दूंगी। अगर तुम चाहो तो मेरी सजा से बच सकते हो। बस इसके लिए तुम्हें अपना बच्चा जन्म के बाद मुझे देना होगा।’ इतना कहकर गोथल वहां से चली जाती है। जादूगरनी गोथल की बात सुनकर जॉन और नैल दोनों काफी डर जाते हैं और वो बच्चे के जन्म के बाद उस शहर को छोड़ने का फैसला करते हैं।
कुछ दिन बाद नैल एक प्यारी-सी बच्ची को जन्म देती है। बच्ची के जन्म लेते ही नैल और जॉन वहां से भागने लगते हैं। तभी रास्ते में उन्हें वो जादूगरनी मिली और वो अपने जादू से बच्ची को लेकर गायब हो गई। इधर नैल और जॉन अपने बच्चे की याद में रोने लगे। उधर वो जादूगरनी उस बच्ची का काफी प्यार से लालन-पोषण करने लगी। उसने बच्ची का नाम ही रॅपन्जे़ल रख दिया। रॅपन्जे़ल जैसे-जैसे बड़ी हुई उसके बाल उससे दोगुने लंबे होते चले गए।
एक दिन जादूगरनी गोथल रॅपन्जे़ल के बाल संवार रही थी, तभी उसके गुरु वहां आ जाते हैं। वो गोथल से कहते हैं, ‘सुनो गोथल! अब समय आ गया है कि तुम रॅपन्जे़ल को लेकर मेरी मीनार चलो। अब उस मीनार की देखभाल तुम्हें ही करनी है।’ इतना कहकर गोथल के गुरु रॅपन्जे़ल और गोथल को वहां से लेकर सीधे मीनार पहुंचे।
मीनर पहुंचकर गुरु ने गोथल और रॅपन्जे़ल को एक कमरे में कैद कर दिया और कहा, ‘गोथल, अब मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूं, इसलिए ये मीनार तुम्हारे हवाले कर रहा हूं। इसकी देखभाल अच्छी तरह से करना। अगर इसे कुछ हुआ, तो मैं तुम्हें इसके लिए कठोर दंड दूंगा। इस पर गोथल ने कहा, ‘गुरु जी आप निश्चिंत रहें, मैं इस महल की देखरेख अच्छी तरह से करूंगी।’ इसके बाद गोथल के गुरु वहां से चले गए।
गुरु के वहां से जाते ही गोथल ने रॅपन्जे़ल से कहा, ‘मैं कुछ सामान लाने के लिए बाजार जा रही हूं। तब तक तुम इस महल की देखभाल करना। ‘ गोथल की ये बातें सुनकर रॅपन्जे़ल सोच में पड़ जाती है कि वह इस मीनार से भला नीचे कैसे उतरेगी, यहां तो कोई सीढ़ी भी नहीं है। इतने में गोथल रॅपन्जे़ल के लंबे बालों को मीनार से नीचे लटका देती है और कहती है, ‘मैं इसके सहारे ही नीचे उतरूंगी और जब मैं बाजार से वापस आऊंगी तो तुम्हें आवाज लगाऊंगी। मेरी आवाज सुनकर तुम अपने बाल ऐसे ही मीनार से नीचे की ओर लटका देना, ताकि मैं उसे पकड़कर ऊपर आ जाऊं। ‘ इस पर रॅपन्जे़ल कहती है, ‘ठीक है।’
अब जल्दी से गोथल रॅपन्जे़ल के बालों के सहारे नीचे उतर कर बाजार चली जाती है। गोथल के जाने के बाद मीनार में अकेली बैठी रॅपन्जे़ल अपना मन बहलाने के लिए गाना गाने लगती है। इसी दौरान एक राजकुमार उस जगह सैर करने के लिए आता है। तभी उसे रॅपन्जे़ल के मधुर गीत सुनाई देते हैं। उसकी आवाज सुनकर राजकुमार को सोचता है कि इस सुनसान जगह पर इतना अच्छा गाना कौन गा रहा होगा। इसी सोच के साथ राजकुमार उस आवाज की ओर चल पड़ता है। इस दौरान उसकी नजर मीनार पर पड़ती है।
राजकुमार वहीं पेड़ के पीछे छिपकर रॅपन्जे़ल का गाना सुनने लगता है। इतने में वह देखता है कि गोथल वहां आती है और रॅपन्जे़ल को आवाज लगाते हुए कहती है, ‘अपने बालों को नीचे गिराओ।’ यह सुनकर रॅपन्जे़ल तुरंत अपने बालों को नीचे गिराती है और गोथल उसके सहारे मीनार के अंदर चली जाती है। राजकुमार यह सब देखकर हैरान रह जाता है। अगले दिन फिर राजकुमार वहां आता है और देखता है कि रॅपन्जे़ल के बालों के सहारे गोथल नीचे उतर कर बाजार चली गई।
जैसे ही गोथल थोड़ी दूर पहुंच जाती है, तो राजकुमार मीनार के पास पहुंकर आवाज लगाता है, रॅपन्जे़ल.. रॅपन्जे़ल…तुम अपने बालों को नीचे गिराओ! यह सुनकर रॅपन्जे़ल अपने बालों को नीचे गिरा देती है। फिर राजकुमार बालों के सहारे मीनार में घुस जाता है। राजकुमार को देखकर रॅपन्जे़ल डर जाती है। वह पूछती है, ‘तुम कौन हो?’
इस पर राजकुमार कहता है, ‘अरे! तुम डरो नहीं। मैं कोई चोर नहीं हूं। मैं यहां तुम्हारा गाना सुनकर आया हूं। तुम्हारी आवाज बहुत मीठी है।’ इस पर रॅपन्जे़ल काफी खुश हो जाती है और राजकुमार को गाना सुनाने लगती है। इसी तरह रोज राजकुमार मीनार आने लगा और देखते-ही-देखते दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है।
एक दिन रॅपन्जे़ल अपने बारे में राजकुमार को बताती है। वह कहती है, गोथल मेरी मां नहीं है। उसने मुझे यहां कैद करके रखा है। वो मुझे कहीं भी नहीं जाने देती। यह सुनकर राजकुमार रॅपन्जे़ल से वादा करता है कि वह उसे उसके असली मां-बाप से जरूर मिलाएगा। इतना कहकर राजकुमार मीनार से निकल जाता है। तब तक गोथल वहां आ जाती है और राजकुमार को वहां से जाते देख लेती है।
वह तुरंत आवाज लगाती है, रॅपन्जे़ल.. रॅपन्जे़ल…तुम अपने बालों को नीचे गिराओ! रॅपन्जे़ल अपने वालों को नीचे गिराती है और वह ऊपर मीनार में चली जाती है। मीनार में घुसते ही गोथल सीधे रॅपन्जे़ल पर गुस्सा करते हुए कहती है, ‘मैंने तो सोचा कि मैं तुम्हें बाहर की दुनिया से दूर रखने में सफल हो गई, लेकिन ऐसा नहीं है।’ गुस्से में गोथल कैंची लेकर रॅपन्जे़ल के बाल काट देती है। फिर उसे एक सुनसान से रेगिस्तान में ले जाकर छोड़ देती है।
इस बात से अनजान राजकुमार अगले दिन फिर मीनार के पास आता है और आवाज लगाता है, रॅपन्जे़ल.. रॅपन्जे़ल…तुम अपने बालों को नीचे गिराओ। रोज की तरह ही रॅपन्जे़ल के बाल नीचे गिरते हैं, जिसे पकड़ कर वो मीनार में प्रवेश करता है, लेकिन इस बार वो हैरान रह जाता है। दरअसल, मीनार में रॅपन्जे़ल नहीं गोथल थी।
वह उसे देखकर पूछता है, रॅपन्जे़ल कहां है?
गोथल कहती है, ‘तुम जिस रॅपन्जे़ल की तलाश में यहां आए हो, वो अब यहां नहीं रहती।’ इतना कहकर गोथल राजकुमार को मीनार से नीचे फेंक देती है।
इस घटना के बाद राजकुमार बुरी तरह से घायल हो गया, लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी। वह अपने सैनिकों के साथ रॅपन्जे़ल की तलाश में निकल गया। कुछ देर तक यूं ही भटकने के बाद राजकुमार उस रेगिस्तान के पास पहुंचा, तभी उसे रॅपन्जे़ल का गाना सुनाई दिया, जिसे वह अक्सर गाती थी। वह खुश होकर गाने की ओर बढ़ने लगा। कुछ दूर जाने के बाद उसे रॅपन्जे़ल मिली, वह काफी खुश हुआ और उसे अपने साथ लेकर मीनार की ओर गया।
मीनार पहुंचकर राजकुमार ने अपने सैनिकों को उसे तोड़ने का आदेश दिया। गोथल ने सैनिकों को रोकने की बहुत कोशिशें की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। इतने में गोथल के गुरु वहां आ पहुंचे और जब उन्होंने मीनार को टूटते हुए देखा, तो गुस्से से लाल हो गए। गुरु ने गोथल को कठोर दंड दिया और वहां से गायब हो गए।
इसके बाद राजकुमार अपने साथ रॅपन्जे़ल को महल ले गया और वहां उसे उसके असली माता-पिता से मिलवाया। अपने माता-पिता से मिलकर रॅपन्जे़ल बहुत खुश हुई और राजकुमार का शुक्रिया किया। इसके बाद सभी लोग खुशी-खुशी वहां एक साथ रहने लगे।
कहानी से सीख : हमें कभी किसी के बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि बुरे का अंत हमेशा बुरा ही होता है।