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रस्सी की गांठ बुद्ध कथा!!

ये कहकर वे रस्सी के दोनों छोरों को पकड़ कर खींचने लगे। शिष्य ने उन्हें रोकते हुए कहा, “तथागत! ये आप क्या कर रहे हैं। इस तरह तो खुलने के बजाय गांठे और कस जायेंगी। तब इन्हें खोलना और कठिन हो जायेगा।”

“तो तुम ही बताओ कि इस रस्सी की गांठों को कैसे खोला जाये?” बुद्ध ने पूछा।

महात्मा बुद्ध के शिष्य प्रतिदिन की भांति उनका प्रवचन सुनने उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।

कुछ ही देर में बुद्ध पधारे। शिष्यों ने देखा, उनके हाथ में एक रस्सी है। वे आश्चर्य से बुद्ध को देखने लगे कि वहाँ रस्सी लाने का क्या प्रयोजन?

बुद्ध ने आसन ग्रहण किया और बिना कुछ कहे रस्सी में गांठ लगाने लगे। शिष्य अब भी उन्हें आश्चर्य से देख रहे थे। उन्होंने रस्सी में तीन गांठे लगाई और उसे शिष्यों को दिखाते हुए पूछा, “आप सब मेरे हाथ में ये रस्सी देख रहे हैं। आपके सामने ही मैंने इसमें तीन गांठे लगाई। अब मैं आपसे पूछता हूँ कि क्या ये वही रस्सी है, जो गांठे लगाने के पूर्व थी?”

एक शिष्य खड़ा हुआ और बोला, तथागत  ! मैं इस रस्सी को भिन्न भिन्न दृष्टिकोणों से देखूं, तो आपके प्रश्न के भिन्न उत्तर पाता हूँ। एक दृष्टिकोण से लगता है कि रस्सी में तीन गांठे लगने से इसका स्वरूप परिवर्तित हो गया है। दूसरे दृष्टिकोण से लगता है कि रस्सी में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसका मूल स्वरूप तो वही है, ये आखिर है तो रस्सी ही।”

बुद्ध बोले, “सही कहा। अब मैं इन गांठों को खोल देता हूँ।”

“तथागत! इन गांठों को खोलने के लिए पहले हमें ये जानना होगा कि ये लगाई कैसे गई हैं। ये जानने के बाद ही इन्हें खोलने का प्रयास करना होगा।”

“सही कहा!” बुद्ध बोले, “रस्सी और इनमें लगाई गांठों द्वारा मैं तुम्हें जीवन में आने वाली समस्याओं के निवारण का सही तरीका बताना चाहता हूँ। रस्सी जीवन है और इनमें लगी गांठे जीवन में आने वाली समस्यायें। जब भी जीवन में समस्यायें आयें, तो पहले उन समस्याओं का मूल कारण जानने का प्रयास करो। कारण जान लेने के बाद ही उनका निदान संभव है। लोग ये जानने का प्रयास ही नहीं करते कि समस्या उत्पन्न कैसे हुई और उसका समाधान खोजने में लग जाते हैं। प्रायः मेरे पास समस्यायें लेकर आने वाले पूछते हैं, मुझे अत्यधिक क्रोध आता है, इसका निदान बताइये। वे कभी जानने का प्रयास ही नहीं करते कि उन्हें क्रोध क्यों आता है। वे अहंकार समाप्त करना चाहते हैं, किंतु कभी ये जानने का प्रयास ही नहीं करते कि उनमें अहंकार उत्पन्न कैसे हुआ? बिना समस्या का मूल जाने उनका निदान संभव नहीं। समस्याओं की जड़ समझ जाओ और उन्हें जड़ से ही समाप्त कर दो।”

सीख

दोस्तों, समस्याओं के समाधान के पहले अच्छी तरह सोच विचार कर ये जान लें की समस्या उत्पन्न कैसे हुई। फिर ये जानने का प्रयास करें कि उसके निवारण के लिए क्या किया जा सकता है। निवारण का तरीका समझ में आने के बाद उसके निवारण में जुट जायें।

समस्याओं में उलझे नहीं, शांतिपूर्वक विचार कर उन्हें सुलझायें।

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