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रहता है दिल में

रहता है दिल में मेरे, चरणों में मैं रहता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ,
रहता है दिल में मेरे, चरणों में मैं रहता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ…..

दिल एक मंदिर समझता है कान्हा,
चरणों से बढ़कर ना कोई ठिकाना,
कहता है सब कुछ मुझे, मैं भी उसे कहता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ…….

ये दिल से बाहर निकलता नहीं,
मिलने का मौका भी मिलता नहीं है,
इसकी ख़ुशी के लिए, ये ग़म भी मैं सहता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ…….

ना कोई रिश्ता है ना कोई नाता,
बनवारी इसका समझ में ना आता,
लगता है सब कुछ मेरा और मैं भी तो कुछ लगता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ,
रहता है दिल में मेरे, चरणों में मैं रहता हूँ,
वो मुरली वाला है, जिसे मैं प्यार करता हूँ……

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