रूठ कर मुझसे प्रभु यूँ चले जाओगे तुम
ये ना सोचा था कभी इतना आज़माओगे तुम
रूठ कर मुझसे प्रभु …………..
आदत तो तुम्हारी है दया की ओ दयालु
तेरी नाराज़ी को बोलो कैसे मैं सँभालु
अपनों बच्चों की खता दिल से यूँ लगाओगे तुम
ये ना सोचा था कभी इतना आज़माओगे तुम
रूठ कर मुझसे प्रभु …………..
मैंने यही देखा मैं तो सुनता यही आया
अपने प्रेमियों के आसनु तू ना देख पाया
जिनको हंसाया सदा उनको रुलाओगे तुम
ये ना सोचा था कभी इतना आज़माओगे तुम
रूठ कर मुझसे प्रभु …………..
तेरे सिवा सोनू किसी और दर ना जाये
तू ये जानता है इसीलिए यूँ सताये
देख कर बेबस मुझे ऐसे मुस्काओगे तुम
ये ना सोचा था कभी इतना आज़माओगे तुम
रूठ कर मुझसे प्रभु …….