सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
सच कहती हु संवारे मेरे मन की शांति पाती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
मैंने तुझसे प्रीत लगा ली है
तेरी बांसुरी मन में रमा ली है
मिल जाए प्रेम तुम्हारा मोहन बस इतना ही चाहती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
मेरी रूह में तुम्ही समाये हो
मेरे रोम रोम में छाए हो
मन वृन्दावन तीरथ मथुरा छवि तेरी ही पाती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,
शब्दों का हार बनाया है गोपी का हाल सुनाया है,
प्रेम दीवानी कहे मानसी भजन से भाव बताती हु
सांझ सवेरे संवारे मेरे कान्हा कान्हा गाती हु,,,,,,,,,