सभी रूप में आप विराजे, त्रिलोकी के नाथ जी,
”सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी” ll
गोविंदा रे गोविंदा रे, गोविंदा l
बोलो, गोविंदा रे गोविंदा रे, गोविंदा ll
रूप चतुर्भुज लगे सलोना, चारभुजा के नाथ जी l
नाथ द्वारा में आप बिराजे, बन करके श्री नाथ जी ll
दाढ़ी में थारों हीरों चमके,, ll, मुकुट विराजे माथ जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पंडर पुर में हरी विठ्ठल, रणछोड़ वसा डाकोर जी* l
बने गोवर्धन आप विराजे, आ करके इंदौर जी ll
द्वार तुम्हारे भक्त खड़े हैं,, ll, जोड़ के दोनों हाथ जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वृन्दावन में कृष्ण मुरारी, जयपुर में गोपाल जी l
डिक्की में कल्याण धणी म्हारो, साँवरियो नंदलाल जी ll
मोत्या वाला श्याम धणी,, ll अब, सुन लीज्यो म्हारी बात जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रोम रोम में वसी है राधे, आप वसे हो कण कण में l
माता यशोद्धा के राज दुलारे, आन वसो मेरे मन में
शनि मण्डली श्याम तुम्हारी,,, ll, बिनती करे दिन रात जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उत्तर मे छत्ररुप बिराजे, बनकर बदरीनाथ जी l
हिमालय की गोद बसे, कहलावे केदार नाथ जी ll
दक्षिण में हरी आन बसे,, ll, बनकर गिरि के बालाजी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बीच समुन्द्र वसी द्वारका, यहाँ द्वारका नाथ जी l
जगन नाथ जी में आप विराजे, जगत पसारे हाथ जी ll
जगन नाथ का होवे कलेवर,, ll, जी में दुनियाँ सारी जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नर नारायण सुँदर पर्वत, बहती गंगा साथ जी* l
करी तपस्या नारायण ने, बनके बद्री नाथ जी ll
तिरूमल में बाला जी हैं,,, ll, तिरुपति लक्ष्मी नाथ जी,
सारी दुनियाँ तुमकों पूजें, राधा जी के साथ जी l
सभी रूप में आप विराजे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,