आज कचहरी में एक अजीब सा मुकद्दमा आया था। जिसका फैसला सुनने के लिए इतने लोग आये थे कि कचहरी खचाखच भरी थी। जितने लोग थे उतनी बातें। कोई कह रहा था “उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। जान बहुत कीमती है भाई। परेशानियां तो आती जाती रहती हैं। जिंदगी गयी तो दुबारा नहीं मिलती।” इसी तरह सभी का अपना अपना तर्क था।
आत्महत्या की कोशिश करने वाले नवयुवक को कटघरे में लाया गया। “देखने में तो पढ़ा लिखा लगता है और हरकत तो देखो।” लोगों के बीच से आवाज आई। बोलने वाले पर उसकी निगाहें जा कर रुक गयी। वो देख कर चुपचाप मुस्कराया और शांत कटघरे में खड़ा रहा। तभी जज साहब आये और सब खड़े हो गए। कार्यवाही शुरू की गयी। सरकारी वकील ने अपनी दलीलें पेश करनी शुरू की।
आत्महत्या की कोशिश शहर के बाहर बहने वाली नदी में की गयी थी। पर वहां लोगों का आना जाना लगा रहता था। इस कारण उसकी जान बचायी जा सकी। पर जब जान बचायी गयी उस वक़्त उसे होश नहीं था। पुलिस को बुलाया गया तो पुलिस कर्मचारी उसे सरकारी अस्पताल ले के गए। वहां जब पुछा गया तो पता चला की उसने जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए आत्महत्या की कोशिश की थी। इसके पीछे और किसी का हाथ नहीं है। बहुत जोर देने पर भी उसने और कुछ ना बताया।
सरकारी वकील ने कार्यवाही शुरू की -” जज साहब ये शख्स जिसका नाम विश्वास है, ने अपनी आत्महत्या की कोशिश पूरे होश-ओ-हवास में की है। कारण पूछे जाने पर इसका बस इतना कहना है कि ये जिंदगी से आजादी चाहता था। पर ये कानूनन जुर्म है। इसलिए मैं चाहूँगा इसे दफा 309 के तहत 1 साल की सजा दी जाए।“
इतना सुनने के बाद भी उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। जज साहब ने पुछा , “क्या तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है?” उसने मुसकुराते हुए अपना सर ना में हिलाया। बस फिर क्या बाकी था। जज साहब में अपना फैसला सुनाया और उसे 1 साल कैद की सजा हुयी। उसे जेल में ले जाया गया।
धीरे धीरे दिन बीतने लगे। उसकी जेल के अन्य कैदियों से दोस्ती हो गयी थी। सब बड़े दिलवाले थे। कोई चोरी करते पकड़ा गया था, तो कोई क़त्ल कर के आया था। सब में अच्छी बनती थी वहां, एक दूसरे के हमदर्द से बन गए थे सब। सब एक दूसरे से अपने दिल की बातें किया करते थे अचानक एक दिन किसी ने उससे पूछा , ”तुमने बताया नहीं कि तुमने मरने की कोशिश क्यों की और कोशिश की तो फिर नदी में क्यों कोई और तरीका क्यों नहीं अपनाया ?”
“और किसी तरीके से शायद मैं बस बच ना पाता।“
“क्या मतलब?”
“मैं स्टेट लेवल चैंपियन हूँ तैराकी का।“
इतना सुनते ही सब के होश उड़ गए कि ये क्या बोल रहा है। उसने बोलना जारी रखा। “बचपन से ही मैं गरीबी देखता आया हूँ। जिसने जीवन में डूबता हुआ पाया गया था उसी नदी में तैरना सीख कर मैंने 50 से ज्यादा मेडल जीते हैं और उस नदी में कैसे डूब सकता था। मैंने यह कदम अपनी गरीबी के चलते उठाया । जिसके कारन मेरे पास खाने को एक वक्त की रोटी नहीं थी और ना ही कोई काम मिल रहा था। तभी अचानक मैंने सोचा कि क्यों ना आत्महत्या कर लूँ। फिर याद आया की आत्महत्या गैर कानूनी है। और 1 साल की सजा है। इसलिए मैंने ये सब किया और अब दफा 309 के तहत मेरे सर पर छत है, खाने को 2 वक्त की रोटी है । और तो और यहाँ पर अगर बीमार भी होता हूँ तो फ्री में इलाज है। बस इसीलिए यहाँ आ गया।”
इतना सुनते ही सब असमंजस में पड़ गए की हंसे या अफ़सोस जताएं। तभी रात के खाने के लिए सबको आवाज दी गयी और सब अपनी अपनी थाली उठा कर चल पड़े।
शिक्षा:-
देश के लिए विश्वास जैसे बहुत से खिलाड़ियों ने मैडल जीते है लेकिन बहुत से ऐसे भी खिलाड़ी है जो गरीबी में जी रहे है,ऐसे खिलाड़ियों के लिए सरकार को पेंशन दी जानी चाहिए जो देश के लिए खेलता है मैडल जीतता है।औऱ हम आम नागरिकों को भी सहयोग करना चाहिए।
आइये संकल्प ले कि विश्वास जैसे खिलाड़ियों के सर पर हमेशा छतः हो।और वो वही अपना जीवन खुशहाल होकर बिता सके।।