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सागर में नैय्या कृष्ण कन्हियाँ


सागर में नैय्या, कृष्ण कन्हैया ,
डूबती नैय्या के प्रभु, तुम हो खिवैया

तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है,
किसको पुकारू कोई, तुझसा नहीं है ,
निर्बल के इस दुनिया में, तुम हे सहारे

झूटी है दुनियां, झूठा ज़माना ,
मैं तो हूँ कान्हा, तेरा दीवाना ,
देर करो ना सुनलो, राधा के प्यारे,

कितनो को कान्हा तुम, देते सहारा,
थक सा गया हूँ दुनियां से हारा,
देख खड़ा हूँ तेरे, दर के किनारे,

गलती ललित की पहले ना आया,
अपनों को कान्हा मैंने, खूब आजमाया,
मतलब की इस दुनियाँ में, तुम हे हमारे……………

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