समजा ले तेरे लाला को मेरी बहिया पकड़ मरोड़ दे
मेरी भरी मटकिया फोड़गी
क्यों ऋ गुजरियां सारी ये मोहे माखन चोर बतावे माँ
मुझपे झूठा दोष लगावे माँ
माँ बीगड़ गयो तेरो वनवारी
मोह से करे उदम बडो भारी
तेरे कान्हा से हम तंग सारी,
धोखे से पकड़ जजोड़ दई मेरी भरी मटकियाँ फोड़ दी
मोहे सब केहती काला काला
कभी केहती गोकुल का ग्वाला,
कभी बोले दो भापन वाला
लड़ने से बाज ना आवे माँ
मोह्पे झूठा दोष लगावे माँ
जब यमुना तट पे जाऊ मैं
कान्हा से बचना चाहू मैं
मैया तोहे साच बताऊ मैं
सब झूठी बाते छोड़ दई
मेरी भरी मटकिया फोड़ दी
तेरा कान्हा तो भोला भाला
करता न माँ गडबड ज्यादा
कहे भीम सेन तेरे लाला को
गुजरियां रोज सतावे माँ मोह पे झूठा दोष लगावे माँ……………