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संत शरण में लाग रे तेरी आछी बनेगी


संत शरण में लाग रे तेरी आछी बनेगी
ध्रुव ने बनाई बात गज ने बनाई,

अजामिल के जागे भाग रे तेरी आछी बनेगी
शबरी बनाई बात अहिल्या बनाई,

केवट के जागे भाग रे तेरी आछी बनेगी
विदुर ने बनाई बात द्रोपदी बनाई,

कुन्ती के जागे भाग रे तेरी आछी बनेगी
साधु ने बनाई बात, सन्तौ ने बनाई,

तू भी जगाले अपनें भाग रे तेरी आछी बनेगी,,,,,,,


दिखाऊं कोनी लाड़लो,नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,​ जुलम होय जाए,

विषधर तेरे गले में लिपटे, अंग भभूत रमाए,
तेरे रूप को देखके जोगी, लाल मेरो दर जाये,
दिखाऊं कोनी लाड़लो…………………..

​सुन बातें मैया की भोले, मंद मंद मुस्काये,
जिससे सारा जगत है डरता, उसको कौन डराये,
दिखाऊं कोनी लाड़लो…………………..

​हो उदास शिव भोले शम्बू, अपने कदम बढ़ाये,
शिव को जाते देख कन्हैया, रो रो कर चिल्लाये,
दिखाऊं कोनी लाड़लो…………………..

​नन्दलाल का रोना सुनकर, बोली मात यशोदा,
नजर लगा दी मेरे लाल को, हाय हाय अब क्या होगा,
दिखाऊं कोनी लाड़लो…………………..

इतना सुनकर मात यशोदा, मोहन को ले आई,
दर्शन किये हरी के शिव ने, “राजू” ख़ुशी मनाई,​
​दिखाऊं कोनी लाड़लो………………

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