मुझे अब कोई भी फिकर नही
मेरा संवारा मेरे साथ है,
मैं शरण श्याम की आ गया
मेरे सिर पे श्याम का हाथ है,
गम दूर सारे हो गए मुश्किल की घडिया गुजर गई
जब से दया हुई श्याम की खुशियों की कलिया भिखर गई
अंधियारी राते ढल चुकी पूनम की अब हर रात है
मुझे अब कोई भी फिकर नही ………….
मैंने भोला जीवन नैया जी को चरणों में इनकी सोंप कर
जिस हाल में रखे ये मुझे जाउगा ना दर छोड़ कर
मैं दीन हु तेरा संवारे तू मेरा दीना नाथ है
मुझे अब कोई भी फिकर नही…..
मेरे श्याम की किरपा से ही इस दुनिया में पहचान है,
अपनों की बात छोड़ीये गेरो में भी समान है
बिन श्याम के दुनिया में कुछ मेरी नही औकात है
मुझे अब कोई भी फिकर नही……………………