तेरे प्रेम की हे सांवरियां मिली मुझे सोगात है
पर किसी से ना बतलाना ये अन्दर की बात है…..
जब से मेरे श्याम सलोने तूने मुझे अपनाया है मेरा
दिल ही बतला सकता क्या खोया क्या पाया है,
दीनहीन दुनिया को खो कर छाया दीना नाथ है
तूम और किसी से न बतलाना ये अन्दर की बात है…..
दुःख के दिन जब आये मेरे मैंने तुमको पहचाना,
सचे मित्र तुम बने जिस दिन सारा तरस था दीवाना,
अपनो ने मुह मोड़ा तूने पकड़ा मेरा हाथ है
तूम और किसी से न बतलाना ये अन्दर की बात है………