Breaking News

स्तंभेशवर महादेव, गुजरात 

Satambheshver Mahadev Mandir

गुजरात के बढ़ोदरा में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जो देखते ही देखते गायब हो जाता है और फिर अचानक ही दोबारा दिखने लगता है। इस मंदिर की इसी खूबी के कारण यह दुनियाभर में प्रसिद्ध और भोले के भक्त इस घटना को अपनी आंखों से देखने के लिए दौड़े चले आते हैं। आइए, जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से…

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर समुद्र में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण अपने तपोबल से भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने किया था। इस मंदिर का ओझल हो जाना कोई चमत्कार नहीं बल्कि एक प्राकृतिक घटना का परिणाम है। दरअसल दिन में कम से कम दो बार समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह समुद्र में डूब जाता है। फिर कुछ ही पलो में समुद्र का जल स्तर घट जाता है और मंदिर फिर से नजर आने लगता है। यह घटना हर रोज सुबह और शाम के समय घटती है। श्रद्धालु इस घटना को समद्र द्वारा शिव का अभिषेक करना कहते हैं। भक्त दूर से इस नजारे को देखते हैं।

मंदिर के निर्माण से जुड़ी कथा

इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी कथा स्कंद पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, राक्षस ताड़कासुर ने कठोर तपस्या के बल पर शिवजी से यह आशीर्वाद प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु तभी संभव है, जब शिव पुत्र उसकी हत्या करे। भगवान शिव ने उसे वरदान दे दिया। आशीर्वाद मिलते ही ताड़कासुर ने पूरे ब्रह्मांड में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उधर शिव के तेज से उत्पन्न हुए कार्तिकेय का पालन-पोषण कृतिकाओं द्वारा हो रहा था। उसके उत्पात से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए बालरूप कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया। लेकिन जैसे ही उन्हे ज्ञात हुआ कि ताड़कासुर शिवजी का भक्त था, वह व्यथित हो गए। तब देवताओं के मार्गदर्शन से उन्होंने महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की। यही स्तंभ मंदिर आज स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात है।

कैसे पहुंचे यहां?

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के वढ़ोदरा से करीब 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, आप यहां सड़क, रेल और हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं।

wish4me in English

gujaraat mein vadodara se 85 kimee door sthit jamboosar tahaseel ke kaavee-kamboee gaanv ka yah mandir alag hee visheshata rakhata hai. yah mandir din mein do baar subah aur shaam ko pal bhar ke lie ojhal ho jaata hai aur kuchh der baad usee jagah par vaapas bhee aa jaata hai. aisa jvaarabhaata uthane ke kaaran hota hai. isake chalate aap mandir ke shivaling ke darshan tabhee kar sakate hain, jab samudr mein jvaar kam ho.

Check Also

द्रौपदी का संदेश

द्रौपदी और श्रीकृष्ण के बीच एक गहरी बातचीत, महाभारत के युद्ध के अनुभवों पर ध्यान देने वाली एक कहानी। शब्दों के प्रभाव को समझते हुए धर्म और...