परम पूज्य श्री श्री स्वामीजी महाराजश्री कह रहे हैं कि परमेश्वर हर युग में आकर मानव जाति को मार्ग दिखाते हैं । पावन , सच्चे , धर्म की स्थापना करते हैं और पाप व अधर्म का नाश करते हैं । गीता जी , ईश्वर की भक्ति को मुख्यतया देकर ज्ञान व प्रेम का संतुलन बनाती है । ज्ञान प्रेम में रूपान्तरण होता है और प्रेम ज्ञान की ओर लेकर जाता है । जीवन में धर्म का पालन करना मानो प्रभु की नारायणी सेना को अपने पक्ष में करना ! मानव धर्म पर अनेकों गीताएँ बनी हैं पर श्री श्री स्वामी जी महाराजश्री के अनुसार भगवद्गीता तो एक ही है ! सबसे मार्मिक व अतिशय मधुरतम !
Param Pujya Shri Shri Swamiji Maharajshri is saying that in every era, Lord comes and shoes the path to man kind. He lays the foundation of pious, truthful order and banishes evil and sinful tendencies. Gita ji places relevance on the devotion to the Lord maintains a balance between knowledge and Divine Love at the same time. Knowledge leads to love and Divine love leads to knowledge. Following righteous order in life means having the Lord’s army on one’s own side! Many Gita’s have been composed on humanity but according to Shri Shri Swamiji Maharajshri Bhavadgita is only one of its kind! Most compassionate and deeply nectarine !