Breaking News

Shrimad Bhagwat Geeta Mahatmya Adhyay2

गीता के दूसरे अध्याय का महत्व

श्री नारायण जी बोले-हे लक्ष्मी! दक्षिण देश में एक पूर्ण नाम नगर था। वहां एक देव सुशर्मा बड़ा धनवान रहता था, वह साधु सेवा करता था। जब साधु सेवा करते हुए बहुत दिन बीते, तब एक बाल नाम ब्रह्मचारी आया। जिसकी सुशर्मा ने बहुत सेवा की और विनय किया कि हे संतजी! कृपा मुझे श्री नारायण जी के पाने का ज्ञानोपदेश करो। तब ब्रह्मचारी बोले मैं तुझे गीता के दूसरे अध्याय का पाठ सुनाता हूं। देव सुशर्मा ने कहा कि गीता जी के दूसरे अध्याय को सुनने से कोई आगे भी मुक्त हुआ है? बाल ने कहा- मैं तुझे प्राचीन कथा सुनाता हूं। एक आयाली वन में बकरियां चराता था और मैं वहां भजन करता था। एक दिन रात के समय अयाली बकरी लेकर घर को तला, मार्ग में एक सिंह बैठा था। एक बकरी सबसे आगे आती देखकर सिंह भाग गया। तब अयाली ये देख बड़ा आश्चर्य चकित हुआ और मैं भी वहां आ खड़ा हुआ। उस चरवाहे ने मुझे देखकर कहां मैंने यह आश्चर्य देखा कि बकरी को देखकर शेर डरकर भाग गया। अत: तुम त्रिकालज्ञ हो, यह वृत्तान्त मुझे सुनाओ! संत ने कहा हे अयाली मैं तुझे एक पिछली वार्ता सुनाता हूं।

यह बकरी पिछले जन्म में डायन थी। जब उसका पति मर गया तब यह बड़ी डायन हो गई। जिस सुंदर बच्चे को देखती उसे ही खा लेती थी। शेर पिछले जन्म में फन्दक था। वह पक्षी पकड़ने के लिए जंगर में गया। ये डायन भी वहां पहुंच गई। डायन ने उस फंदक को खा लिया। अब यह फन्दक बन गया है। इसलिए बकरी को देखकर उसे लगा ही वह अब भी मुझे खाने आ रही है। तब अयाली ने कहा कि मैं पिछले जन्म में क्या था? संत बोले तू पिछले जन्म में चाण्डाल था। तब अयाली ने कहा कि हे ब्रह्मचारीजी! कोई ऐसा उपाय भी है, जिसे कर हम तीनों इस अधम देह से छूटें। तब संत बोले- हम तुम तीनों का उद्धार करते हैं। एक बात सपनो, भयानक पर्वत की कंदरा में एक शिला थी, उसमें श्री गीता जी का दूसरा अध्याय लिखा हुआ था, मैंने उन अक्षरों को उस शुला पर देखा था। अब मैं तुम्हे मन, वचन, और कर्म एकाग्र करके सुनाता हूं, तुम श्रवण करे। संत ने जब गीता जी के अक्षर सुनाए तो उनको सुनते ही तुरंत आकाश ससे विमान आए और उन तीनों को विमानों पर बैठा बैंकुण्ठ लोक ले गए।

  • Videos
  • Playlists
  • 359 more
  • 18 more
    • Check Also

      राजकुमारी कार्विका

      राजकुमारी कार्विका

      राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत …