श्यामा मुरली बजाकर चल दिए, प्रभु बंसी सुनाकर चले गए….-ii
मुझे निंदिया आई सोने चली, सपने में आए सांवरिया,
मुख से निकला ठहरो प्रभु और हंस कर यूँ ही मुड़ गए,
प्रभु बंसी सुनाकर………
किसे कहूँ गम दिल का मैं, कोई तो आके सुने मेरी,
मुझे लौ लगी है श्यामा की, गिरधर को बुला कर लाओ जरा,
प्रभु बंसी सुनाकर……
प्रभु प्रेम की दीवानी हुई, दिल जख्मी किया बेगाना हुआ,
नैनो में आके सांवरिया, कोई तो हाल जाने मेरा,
प्रभु बंसी सुनाकर……..
भोर भई जब नींद खुली, हंस-हंस कर मैं पगली हुई,
चाह लगी थी श्यामा की, सपनों में दर्शन दे गये,
प्रभु बंसी सुनाकर……