श्याम नाम रस पी ले मनवा बून्द बून्द गुणकारी है,
कितने पी कर अम्र हो गए इस रस के बलिहारी है,
श्याम नाम रस पी ले मनवा बून्द बून्द गुणकारी है,
ये अनमोल रसायन है जो पैसो से नहीं दीखता है,
दुनिया के बाजारों में ये ढूंढे से नहीं मिलता है,
प्रेम तराजू तोल के देता सांवरियां व्यपारी है
कितने पी कर अम्र हो गए इस रस के बलिहारी है,
श्याम सुदा का स्वाद निराला पीता किस्मत वाला है
हो जाता पी कर मत वाला ये एसी मधुशाला है
दिन दुनि रात चौगनी बढ़ती रहे खुमारी रे
कितने पी कर अम्र हो गए इस रस के बलिहारी है,
जिसने ये रस पान किया है चमका भगये सितारा है,
जी भर के पीया करो ये तो अमृत की धारा है ,
बिन्नू जो पीते है उनकी शाम प्रभु से यारी है,
कितने पी कर अम्र हो गए इस रस के बलिहारी है,,,,,,,,,,,