राधे जी से मिलन को,
मन में कियो विचार,
खुद ना गोदन चले श्याम जी,
बन अलबेली नार।
बन खुद नारी कुंज बिहारी,
ख़ुद ना गोदन आयो,
श्याम ने नारी रूप बनायो,
श्याम ने नारी रूप बनायो।
बरसाने में टेर लगाईं,
निकर राधिका बाहर आई…..-ii
चार गली के चौराहे पर,
बैठ गए श्री कृष्ण कन्हाई,
छलिया की छल पट्टी ना गई,
मुरली मुकुट छुपायो, श्याम ने,
श्याम ने नारी रूप बनायो………
सखियाँ बैठ गई हैं दे गोला,
आज मगन हैं इनका चोला……-ii
अपने अपने हाथ बढ़ाती,
लीलाहारी से हँस बतियाती,
श्याम नाम की सब दीवानी,
प्रीतम चित्त चुरायो, श्याम ने,
श्याम ने नारी रूप बनायो…….
मस्तक पर मन मोहन लिख दे,
कानन कुंज बिहारी….-ii
भौहन में भगवान् कृष्ण लिख,
कानन मुरली धारी,
होंठन में लिख अन्तर्यामी,
गाल गोपाल लिखायो,
श्याम ने नारी रूप बनायो…….
गले पर लिख दे गिरवर धारी,
नन्द बाबा को लाला…..-ii
छतियन लिख दे छैल छबीले,
नाग नाथने वाला,
अंग अंग में नाम हरी लिख,
उनसे प्रेम बनायो,
श्याम ने नारी रूप बनायो……
जब आई राधा की बारी,
कहे बरसाने वारी,
बड़े जतन से सुई चुभइयो,
लिख दो लीलाधारी,
जान गई है बिंदु राधा,
छलिया भेष बनायो, श्याम ने,
श्याम ने नारी रूप बनायो,
श्याम ने नारी रूप बनायो।
बन खुद नारी कुंज बिहारी,
ख़ुद ना गोदन आयो,
श्याम ने नारी रूप बनायो…….