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लालची ब्राम्हण !!

लालची ब्राम्हण

एक जंगल में एक बूढ़ा शेर रहता था। बूढ़ा हो जाने के कारण उसके शरीर में पहले जैसी फुर्ती नही रह गयी थी। जिसके कारण वह जंगली पशुओं का शिकार नहीं कर पाता था। जिससे उसका जीवन बहुत कष्टप्रद हो गया था।

एक दिन शिकार की खोज में घूमते हुए उसे एक सोने का कंगन मिला। कंगन देखकर उसे एक उपाय सूझा। वह कंगन लेकर नदी किनारे पहुंचा और किसी के आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में उसे एक ब्राम्हण उधर से जाता हुआ दिखा।

तब वह शेर जोर जोर से बोलने लगा, “हे भगवान ! मैं रोज स्नान करके किसी ब्राम्हण को एक सोने का कंगन दान करता हूँ। बिना इस नियम का पालन किये मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करता हूँ। क्या आज कोई ब्राम्हण दान लेने नहीं आएगा ? क्या आज मुझे भूखा ही रहना पड़ेगा ?”

उधर से गुजर है ब्राम्हण ने जब शेर की बात सुनीं तो वह ठिठक गया। शेर के हाथ में सोने का कंगन देखकर उसे लालच आ गया। लेकिन उसे डर था कि कहीं शेर उसे खा न जाय। इसलिए वह पास जाने का साहस नहीं कर पा रहा था।

ब्राम्हण के अनिश्चय को देखकर शेर बोला, “हे ब्राम्हण देवता ! ईश्वर की महान कृपा है। जो उसने आपको मेरे पास दान ग्रहण करने भेज दिया है। आप डरो नहीं, मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ। मैं पूरे नियम, धर्म का पालन करता हूँ।”

शेर की बात सुनकर लालच के वशीभूत होकर ब्राम्हण सोने का कंगन लेने शेर के पास चला गया। उसके बाद क्या हुआ होगा आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। इसीलिए कहा गया है लालच बुरी बला है।

सीख- Moral Of Story

लालच हमेशा व्यक्ति का नुकसान करती है। इसलिए कभी लालच नहीं करना चाहिए।

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