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बनेंगे बिगड़े काम दिल से बोलो जय श्री राम

राम भक्त हनुमान को महाबली माना गया है, जो अजर अमर है। यह सब जानते है कि हनुमान जी भगवान शंकर का अवतार है।

हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान राम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णमा के दिन हुआ था।
हनुमानजी की माता का नाम अंजना है, जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं। हनुमानजी के पिता का नाम केसरी है, जो वानर जाति के थे। माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है। केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे। केसरीजी कपि क्षेत्र के राजा थे। कपिस्थल कुरु साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था।

लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों की मान्यता अनुसार डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था।

अंजनी माता ने शिव जी की प्राथना की ओर प्रभु शिव के आशीर्वाद से उन्हे इक दिव्य चमत्कारी पुतर की प्राप्ति हुई. यह तो सभी जानते है की हनुमान जी शिव के गयन्वि अवतार है इक दिन बचपन मे उन्होने ने सूर्या को कोई फल समज कर खाना चाहा वह धरती से उड़कर आसमान मे पहुचे ओर सूरज को निगलने लगे एसा देखकर इंद्र को बहुत गुस्सा आया ओर इंद्र ने अपने वजार से उस बालक पर प्रहार किया जिसकी वजह से वो बालक मूर्छित होकर ज़मीन पर गिर गया. हनुमान जी के धर्म पिता श्री पवन देव जी को भी जब यह पता चला तो उनको भी बहुत गुस्सा आया तो उन्होने वायु का प्रवाहर रोक दिया तब सभी देव देवताओ ने मिल्कर उस बालक को अलग अलग तारह की शक्तिया प्रदान की इंद्र के प्रहार से बालक की टॉदी . अंदर की तरफ घुस गयी टॉदी को संस्कृत मे हनु कहते है जिसकी वजह से उनका नाम हनुमान पड़ गया इतनी शक्तिया पाकर ओर चंचल मान की वजह से बाल हनुमान अक्सर ऋषि मुनियो को परेशन करते थे एसी इक शरारत क बाद अंगीरा ओर बिघुवंश के मुनियो ने क्रोधित होकर शारप दिया के हनुमान अपने बल को भूल जाए ओर वो उन्हे तब तक याद ना आए जब तक की उन्हे कोई याद ना दिलाए
लेकिन वहीँ कुछ लोगों का मानना हैं कि हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के उग्रवाद प्रभावित क्षे‍त्र गुमला जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था।

हनुमानजी इस कलयुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं। हनुमानजी को धर्म की रक्षा के लिए अमरता का वरदान मिला था। इस वरदान के कारण आज भी हनुमानजी जीवित हैं और वे भगवान के भक्तों तथा धर्म की रक्षा में लगे हुए हैं। जब कल्कि रूप में भगवान विष्णु अवतार लेंगे तब हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि सार्वजनिक रूप से प्रकट हो जाएंगे।

क्यों आज भी जीवित हैं हनुमानजी? – कलयुग में श्रीराम का नाम लेने वाले और हनुमानजी की भक्ति करने वाले ही सुरक्षित रह सकते हैं। हनुमानजी अपार बलशाली और वीर हैं और उनका कोई सानी नहीं है। धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य 4 लोगों के हाथों में है- दुर्गा, भैरव, हनुमान और कृष्ण।

यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से हनुमानजी का आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगेगी। कलियुग में हनुमानजी ने अपने भ‍क्तों को उनके होने का आभास कराया है।

ये वचन हनुमानजी ने ही तुलसीदासजी से कहे थे- ‘चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।’

हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद् भागवत में वर्णन आता है।

क्यों सिन्दूर चढ़ता है हनुमानजी को? : हनुमानजी को सिन्दूर बहुत ही प्रिय है। इसके पीछे ये कारण बताया जाता है कि एक दिन भगवान हनुमानजी माता सीता के कक्ष में पहुंचे। उन्होंने देखा माता लाल रंग की कोई चीज मांग में सजा रही है। हनुमानजी ने जब माता से पूछा, तब माता ने कहा कि इसे लगाने से प्रभु राम की आयु बढ़ती है और प्रभु का स्नेह प्राप्त होता है।

तब हनुमानजी ने सोचा जब माता इतना-सा सिन्दूर लगाकर प्रभु का इतना स्नेह प्राप्त कर रही है तो अगर मैं इनसे ज्यादा लगाऊं तो मुझे प्रभु का स्नेह, प्यार और ज्यादा प्राप्त होगा और प्रभु की आयु भी लंबी होगी। ये सोचकर उन्होंने अपने सारे शरीर में सिन्दूर का लेप लगा लिया। इसलिए कहा जाता है कि भगवान हनुमानजी को सिन्दूर लगाना बहुत पसंद है।

हनुमान दर्शन और कृपा : हनुमानजी बहुत ही जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनकी कृपा आप पर निरंतर बनी रहे इसके लिए पहली शर्त यह है कि आप मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें अर्थात कभी भी झूठ न बोलें, किसी भी प्रकार का नशा न करें, मांस न खाएं और अपने परिवार के सदस्यों से प्रेमपूर्ण संबंध बनाए रखें। इसके अलावा प्रतिदिन श्रीहनुमान चालीसा या श्रीहनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।

भारत में हनुमान जी को अजेय माना जाता है. हनुमान जी अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं. कलयुग में हनुमान जी ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तो पर शीघ्र कृपा करके उनके कष्टों का निवारण करते हैं.

English Translation

Ram Bhakta Hanuman is considered Mahabali, who is Azar Amar. It is known that Lord Hanuman is the incarnation of Lord Shankar.

The hill located near Rishimook’s Ram temple in Hampi is still known as Matang Parvat. It is said that Lord Hanuman was born in the ashram of Matang Rishi. Before the birth of Lord Rama, Hanuman ji was born on the Shukla Purnama of Chaitra month.
Hanumanji’s mother’s name is Anjana, who was an nymph in her former birth. Hanumanji’s father’s name is Kesari, who belonged to the Vanar caste. Hanumanji is called Anjaneya and Kesarinandan because of his parents. Kesariji was called Kapiraj, because he belonged to a caste named Kapi of apes. Kesariji was the king of Kapi region. Kapisthal was a major part of the Kuru kingdom.

But some people say that according to the belief of tribals of Dang district of Gujarat, Hanumanji was born in Anjani cave located in Anjana mountain in Dang district.

Anjani Mata prayed to Shiva, with the blessings of Lord Shiva, she received a divine miraculous son. It is known to everyone that Hanuman ji is the female avatar of Shiva. One day in childhood, he tried to eat some fruit on Surya. He flew off the earth and reached the sky and started swallowing the sun. Indra got very angry and Indra gave his He hit the boy with a wizard, due to which that child fainted and fell on the ground. Hanuman ji’s religious father Shri Pawan Dev ji also got very angry when he came to know about this, so he stopped the air of wind, then all the gods and goddesses gave the child different powers to the child with the stroke of Indra. Todi Entered inward, Todi is called Hanu in Sanskrit, due to which he got the name Hanuman, after getting so much power and because of the playful man, Bal Hanuman often used to sage sage Muniyo after AC I mischief, after Angira and Muniyo of Bighuvansh were enraged. Being cursed, Hanuman forgets his force and he does not remember them until someone reminds him.
But at the same time some people believe that Hanumanji was born in a cave in Anjan village, 20 km from Gumla District Headquarters, an insurgency-hit area in the state of Jharkhand.

But at the same time some people believe that Hanumanji was born in a cave in Anjan village, 20 km from Gumla District Headquarters, an insurgency-hit area in the state of Jharkhand.

Hanumanji will remain in his body till the end of this Kali-yuga. They still roam the earth today. Hanumanji got the boon of immortality to protect the religion. Due to this boon, Hanuman is still alive and he is engaged in protecting the devotees and religion of God. When Lord Vishnu incarnates in Kalki form, Hanuman, Parashurama, Ashwatthama, Kripacharya, Vishvamitra, Vibhishana and Raja Bali will be publicly revealed.

Why is Hanuman still alive today? – Only those who take the name of Shri Ram and do devotion to Hanuman in Kalyug can be safe. Hanumanji is immense and brave and has no match. The work of establishing and protecting religion is in the hands of 4 people – Durga, Bhairav, Hanuman and Krishna.

If human beings take shelter of Hanuman with full devotion and faith, then like Tulsidas ji, it will not take long to have Hanuman and Rama-darshan. In Kali Yuga, Hanumanji has made his devotees aware of his existence.

Hanumanji said these words to Tulsidasji – ‘Ghat Pai of Chitrakoot, Bhai of Bhai Santan. Tulsidas Chandan Ghisai, Tilak de Raghubir .. ‘

Hanumanji lives on the Gandhamadan mountain in Kali Yuga, according to the description in the Shrimad Bhagavata.

Why does sindoor climb to Hanumanji? : Hanumanji is very fond of vermilion. The reason behind this is told that one day Lord Hanumanji reached Mother Sita’s room. He saw that the mother in red is decorating something in demand. When Hanumanji asked Mata, Mata said that by applying it, Lord Rama’s age increases and Lord’s affection is received.

Then Hanumanji thought that when the mother is getting so much love from the Lord by applying so much vermillion, then if I apply more than these, then I will get more affection, love of the Lord and the life of the Lord will also be longer. Thinking this, he applied vermilion all over his body. Therefore it is said that Lord Hanuman likes to apply vermilion.

Hanuman Darshan and Kripa: Hanumanji is a very happy deity. The first condition for his grace to be constant on you is that you should be pure with mind, words and deeds, that is, never lie, do not have any kind of intoxication, do not eat meat and have a loving relationship with your family members. Keep it. Apart from this, read Shree Hanuman Chalisa or Shree Hanuman Vadwanal Stotra daily. Offer Hanuman ji on Tuesday and Saturday.

Hanuman ji is considered invincible in India. Hanuman ji is one of the Ashtiranjeevi’s. In Kalyug, Hanuman ji is the only deity who takes immediate blessings on his devotees and relieves them of their sufferings.

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