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स्वामी परमानंद जी महाराज की वाणी

आप जानते है न की शरीर नष्ट होने वाला है आज नही तो कल नही परसो मतलब ये गया जैसे 40, 50 बर्ष गए जीवन के गए न 45,35 गए पता नही चल पाया अभी सुख की खोज में ही लगे हुऐ है सुख के साधनों को ही जुटा रहे हैं पर अनुभूति नही है की सुख है या नही अभी खुद चालू है और जीवन गया है आगे मृत्यु आने वाला है हम केवल साधना ही जुटाते रहेंगे खोज के सुख के मिलेगा नही यही माया है अनंत जन्म वीत गए भोगते हुए यहां कुछ सत्य नही क्या सत्य है दिखाई दे रहा है बड़े बड़े राजा बड़े बड़े महाराजा बड़े बड़े तपस्विस्वों के हम गीत गाते है कहां है कहां है वो महल कहां है उनका वैभव एक स्वप्न की तरह था गया अब न कभी उनका अस्तित्व है महल का न उनका प्रभाव का गए ऐसे ही एक भ्रामात्मक माया ने नाटक रच रख रखा है तभी भगवान और संतो की बाते श्रद्धा होने के कारण अच्छी तो लगती है पर जीवन में उतारने में अच्छी नही लगती है सुनने में अच्छी लगती है लगता है यही सत्य है सब बोलते है सत्य को कोई मुर्दा तो आप पूछो सैकड़ो लोग राम नाम सत्य है बोलो सब जान रहे हो न सब जान रहे है की सत्य क्या है पकड़ कोई नही रहा संतो के पास सब है संत जब बोलेंगे तो शास्त्र और अपनी अनुभूति के वचन बोलेंगे अच्छा लगता है पर हम पकड़ नही पा रहे है चल नही पा रहे है क्योंकि मन बुद्धि झूठी पर राजी है पुरे झूठ पे राजी है कोई भी ऐसा सुख नही है जो आनंद प्रदान करने वाला हो ,,,बस एक ही नाम उच्चारण करना,,,,राधे राधे

स्वामी परमानंद जी एक आध्यात्मिक गुरु और विचारक हैं, जिनका जीवन और शिक्षाएं भारतीय दर्शन और योगिक परंपराओं पर आधारित हैं। उन्होंने अपना जीवन आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार और मानवता की सेवा में समर्पित किया है। उनकी शिक्षाएं आत्म-ज्ञान, ध्यान, और आंतरिक शांति के महत्व पर जोर देती हैं। उनका मानना है कि आध्यात्मिक जागरूकता से ही सच्ची खुशी और शांति प्राप्त होती है।

परमानंद महाराज कौन है?
Premanand Ji Maharaj: राधारानी के परम भक्त और वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज को भला कौन नहीं जानता है. वे आज के समय के प्रसिद्ध संत हैं. यही कारण है कि उनके भजन और सत्संग में दूर-दूर से लोग आते हैं. प्रेमांनद जी महाराज की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है.

प्रेमानंद महाराज से कैसे मिल सकते है?
प्रेमानंद जी महाराज से मिलने के लिए आपको वृंदावन में आना पड़ता है और वृंदावन आकर आपको किसी भी एक होटल में रुकना पड़ेगा क्योंकि आप इंस्टेंट आकर आप मिल नहीं सकते आपको दो-तीन दिन रुकना पड़ेगा आपको उनका दर्शन करना है तो उनका जो आश्रम है श्री हित राधा के लिए कुंज वह परिक्रमा मार्ग में आपको उनका दिख जाएंगे

प्रेमानंद जी महाराज के गुरु कौन है?
लेकिन क्या आप जानते हैं प्रेमानंद महाराज के गुरु कौन हैं? वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर के तिलकायत अधिकारी श्रीहित मोहित मराल महाराज प्रेमानंद महाराज के गुरु हैं. मोहित मराल महाराज से अभी भी जब प्रेमानंद महाराज मिलते हैं तो वह उनको साष्टांग प्रणाम करते हैं, उनके पैर छूते हैं और उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं.

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