शेखचिल्ली यूं तो मूर्खता भरे काम ही करता था, लेकिन इस बार उसने अपने दिमाग का ऐसा इस्तेमाल किया कि हर कोई दंग रह गया। हुआ यूं कि शेख को पसंद करने वाले झज्जर नवाब लड़ाई के बाद कुछ महीनों के लिए अपने राज्य से बाहर सैरसपाटे के लिए चले गए। उनकी गैर मौजूदगी में उनका छोटा भाई राज्य को संभालने लगा। नवाब के छोटा भाई को शेख बिल्कुल पसंद नहीं था। उसके मन में यही रहता था कि मेरे भाई यानी नवाब ने इसे ऐसे ही सिर चढ़ा रखा है। इसे कोई काम ढंग से करना नहीं आता है और यह कामचोर भी बहुत है।
अपनी इसी सोच के हिसाब से झज्जर का छोटा नवाब शेख के साथ व्यवहार करने लगा। एक दिन मौका मिलते ही छोटे नवाब ने शेखचिल्ली को भरी सभा में डांट दिया। उन्होंने कहा कि एक अच्छा काम करने वाला व्यक्ति वही होता है, जो बताए गए काम से भी ज्यादा करे। तुम तो दिए गए काम को भी सही से नहीं करते हो।
छोटे नवाब ने आगे कहा कि तुम घोड़ों को अस्तबल तक ले जाकर उन्हें बांधते भी नहीं हो। कुछ सामान उठाते हो, तो तुम्हारे पैर कांपने लगते हैं। कोई भी काम तुम मन लगाकर क्यों नहीं करते। जवाब दो। सभा में मौजूद सभी लोग शेखचिल्ली को पड़ी डांट सुनकर खूब हंसने लगे। डांट सुनने और सभी लोगों को खुद पर हंसता हुआ देखकर शेखचिल्ली सभा से चुपचाप चला गया।
कुछ दिनों बाद शेख राजमहल के सामने से गुजर रहा था। छोटे नवाब की नजर जैसे ही उसपर पड़ी, उन्होंने तुरंत उसे अपने पास बुला लिया।
छोटे नवाब ने शेख को कहा, “जल्दी से जाकर किसी अच्छे हकीम को ले आओ। हमारी बेगम की तबीयत खराब है।”
जवाब में सिर हिलाते हुए शेखचिल्ली हकीम को ढूंढने के लिए निकल पड़ा।
कुछ देर में शेख वहां एक हकीम और कब्र खोदने वाले मजदूरों के साथ पहुंचा। उसने मजदूरों को महल के पास ही कब्र खोदने के काम में लगा दिया। तभी छोटे नवाब वहां पहुंचे और गुस्से में कहने लगे कि मैंने सिर्फ हकीम को ही बुलाया था। तुम कौन हो और कब्र क्यों खोद रहे हो। यहां किसी की भी मौत नहीं हुई है।
यह सुनते ही जवाब में शेखचिल्ली ने कहा कि जनाब! इन्हें कब्र खोदने के लिए मैंने कहा है, क्योंकि आपने कहा था कि अच्छा काम करने वाला इंसान बताए गए काम से भी ज्यादा करता है। मैंने भी आपकी बेगम की बीमारी की बात सुनकर उससे संबंधित सभी संभव चीजें कर दीं हैं। इस बात को सुनकर गुस्से में छोटे नवाब महल के अंदर चले गए।
कुछ दिनों बाद उन्होंने एक प्रतियोगिता रखी, क्योंकि उन्हें राज्य के कामकाज से ज्यादा आनंद शतरंज व अन्य खेलों में आता था। इस प्रतियोगिता के लिए छोटे नवाब ने एलान किया कि जो कोई भी सबसे ज्यादा झूठ बोल सकता है उसे इनाम के तौर पर सोने की हजार अशर्फियां दी जाएंगी।
इस घोषणा को सुनते ही झूठ बोलने वाले लोग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पहुंच गए। प्रतियोगिता के दौरान एक झूठे व्यक्ति ने छोटे नवाब से कहा कि साहब! मैंने भैंसों के आकार से भी बड़ी चींटियां देखी हैं। वो भी ऐसी जो भैस से भी ज्यादा दूध देती हैं।
छोटे नवाब न कहा, “हां, ऐसा बिल्कुल हो सकता है।”
फिर दूसरे झूठे ने कहा कि रात को रोजाना मैं उड़कर चांद तक पहुंचता हूं और फिर सुबह होते ही मैं धरती पर लौट आता हूं।
इस बात पर छोटे नवाब ने कहा, “शायद तुम्हारे पास कोई जादुई शक्ति हो, इसलिए ऐसा हो सकता है।”
इन दोनों के झूठ के बाद एक मोटे आदमी ने कहा कि मैंने तरबूज के बीज निगल लिए थे। उस दिन से मेरे पेट के अंदर तरबूज उग रहे हैं। रोज एक तरबूज पककर फटता है और मेरा पेट भर जाता है। मुझे खाना खाने तक की जरूरत नहीं पड़ती है।
यह सुनते ही छोटे नवाब ने कहा कि इसमें क्या बड़ी बात है। तुमने कोई चमत्कारी ताकत वाले बीज खा लिए होंगे।
ऐसे कई सारे झूठ सुनने के बाद शेखचिल्ली ने छोटे नवाब से कहा कि साहब! आपकी आज्ञा मिले, तो मैं भी इस प्रतियोगिता में अपनी कुछ प्रतिभा दिखाऊं। छोटे नवाब ने उसका मजाक उठाते हुए कहा तुम और प्रतिभा।
इतना सुनते ही शेखचिल्ली जोर-जोर से कहने लगा कि आप से बड़ा इस पूरे राज्य में बेवकूफ नहीं है। आपको तुरंत सिंहासन छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इसपर आपका कोई अधिकार नहीं है। शेखचिल्ली की बात सुनते ही पूरी सभा में शांति छा गई।
फिर छोटे नवाब ने गुस्से में कहा कि इस आदमी के दुस्साहस के लिए इसे गिरफ्तार कर लो।
उसके बाद छोटे नवाब से शेखचिल्ली कहा कि तुम तुरंत मुझसे माफी मांग लो, वरना मैं तुम्हारा सिर काटकर अलग कर दूंगा।
यह सुनते ही शेखचिल्ली हाथ जोड़कर बोलने लगा, “सजा आखिर किस बात की। यहां प्रतियोगिता हो रही है और सबसे बड़ा झूठ बोलना है। मैंने वैसा ही किया है। क्या कोई मेरे झूठ का मुकाबला कर सकता है। आप इसे झूठ से अधिक कुछ न समझें। यह सब तो मैंने प्रतियोगी होने के नाते कहा है।”
छोटा नवाब सोचने लगा कि इसने पहले झूठ कहा था या अब झूठ बोल रहा है कुछ समझ नहीं आया। कुछ देर चुप रहने के बाद छोटे नवाब ने शेखचिल्ली से कहा कि तुम उतने बेवकूफ नहीं हो, जितना मैं तुम्हें समझता हूं। तुम इस प्रतियोगिता को जीत गए हो। तुमसे बड़ा झूठ किसी ने नहीं कहा है।
अपनी बुद्धि के दम पर शेखचिल्ली ने प्रतियोगिता जीतकर सोने की हजार अशर्फियां हासिल कर लीं। वो अपना इनाम लेकर जाते हुए सोचने लगा कि छोटे नवाब हैं तो बेवकूफ ही। इस सच से मुझे जीत हासिल हुई है और ईनाम भी मिल गया।
कहानी से सीख :
बुद्धि का इस्तेमाल करने से हर परेशानी से बचा जा सकता है। साथ ही किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति में कोई-न-कोई क्षमता जरूर होती है।