बेताल के उड़ने के बाद दोबारा विक्रमादित्य शिंशपा वृक्ष की ओर दौड़े और पेड़ पर उल्टे लटके बेताल को कंधे पर लादकर चल पड़े। इसी बीच एक बार फिर बेताल ने राजा को एक नई कहानी सुनाते हुए कहा – बहुत समय पहले एक भोगवती नाम की नगरी हुआ करती थी। उस नगरी में राज रूपसेन का राज हुआ करता …
Read More »