उधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी कागये छोड़ तडपते हमे क्या बिगाड़ा बिहारी काउधो क्या बताये तुमे इस दिल की बीमारी का ढूंढे ब्रिज गलियां में बन के मैं वावरियांबस इक झलक चाहू ना सताओ तुम सांवरियांबहे नैनं से जो क्या करे जल धारी कागये छोड़ तडपते हमे क्या बिगाड़ा बिहारी का रात सपने में आ मोहन झूठा …
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