सर्वव्यापक परमात्मा ही भगवान श्रीविष्णु हैं। यह सम्पूर्ण विश्व भगवान विष्णु की शक्ति से ही संचालित है। वे निर्गुण भी हैं और सगुण भी। वे अपने चार हाथों में क्रमश: शंक, चक्र, गदा और पद्म धारण करते हैं। जो किरीट और कुंडलों से विभूषित, पीतांबरधारी, वनमाला तथा कौस्तुभमणि को धारण करने वाले, सुंदर कमलों के समान नेत्र वाले भगवान श्रीविष्णु …
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हांत जोड़ विनती करू, सुंज्यो चिट लगाए
हांत जोड़ विनती करू, सुंज्यो चिट लगाए, दास आ गयो शरण मे, राखियो म्हारी लाज, धँया ढूंढरो देश है, ख़ातु नगर सुजान, अनुपम च्चवि श्री श्याम की, दर्शन से कल्याण, श्याम श्याम मई रतु, श्याम है जीवन प्राण, श्याम भक्त जाग मेी बड़े, उनको करू प्रणाम, ख़ातु नगर के बीच मे, बनयो आपको धाम, फागुन सुकला मेला भरे, जाई- जाई …
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