भारतीय संस्कृति में ‘आचार्य देवो भव’ कहकर गुरु को असीम श्रद्धा का पात्र माना गया है । गुरु शब्द में ‘गु’ का अर्थ अंधकार तथा ‘रु’ का दूर करने से लगाया जाता है । अर्थात जो अंधकार को दूर कर सके, वहीं गुरु है । वैसे, हमारे शास्त्रों में गुरु के अनेक अर्थ बताएं गए हैं । गुरु का महत्त्व …
Read More »Tag Archives: गुरु
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ में क्यों? गुरु पूर्णिमा पर क्या करें!
आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्यासजी का अवतरण हुआ था. उन्होंने ही वेद-पुराणों से परिचित कराया, ईश्वर और मनुष्य के बीच सेतु बने. इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा गुरू पूर्णिमा हुई. वेद व्यास जी अवतार हैं, आषाढी पूर्णिमा को तो चंद्रमा बादलों में छुपा ही रहता है उसी दिन क्यों! शरद पूर्णिमा जब चंद्रमा सबसे युवा और सबसे ज्यादा आकर्षक होता है, उस …
Read More »गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा राष्ट्रीय विस्तृत त्योहार है जो इस दुनिया में गुरु के प्रति समर्पित है। गुरु शब्द शिक्षक जो एक नौसिखिया के लिए कुछ भी सिखाता है के लिए प्रयोग किया जाता है। यदि हम प्राचीन समय से संबंधित, टी वास्तव में गुरु व्यास ने लिखा 4 वेदों की पूजा की जाती है। लेकिन आज के समय में, यह …
Read More »वामनअवतार
एक समय की बात है। युद्ध में इन्द्र से इन्द्र से हारकर दैत्यराज बलि गुरु शुक्राचार्य की शरण में गये। शुक्राचार्य ने उनके अन्दर देवभाव जगाया। कुछ समय बाद गुरू कृपा से बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। प्रभु की महिमा कितनी विचित्र है कि कलका देवराज इन्द्र आज भिखारी हो गया। वह दर-दर भटकने लगा। अन्त में अपनी …
Read More »आनन्दमयी माँ
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || || 5.73|| (दुर्गासप्तशती) नमस्तेस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे । महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि ॥ .. 16.. (दुर्गा कवच) बोलो श्री श्री आनन्दमयी माँ की जय | बोलो वृन्दावन बिहारी लाल की जय || आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ || आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ || जय गुरु माँ । जय गुरु …
Read More »यह दुनिया आपके लिए स्वर्ग की तरह ही है.
एक व्यक्ति ने अपने गुरु से पूछा, मेरे कर्मचारी मेरे प्रति ईमानदार नहीं है, मेरी पत्नी मेरे बच्चे और सभी दुनिया के लोग सेल्फिश हैं, कोई भी सही नहीं हैं, गुरु थोडा मुस्कुराये और उसे एक स्टोरी सुनाई* एक गाँव में एक अलग सा कमरा था जिसमे 1000 शीशे लगे थे, एक छोटी लड़की उस कमरे में गई और खेलने …
Read More »दो शब्द
बहुत समय पहले की बात है , एक प्रसिद्द गुरु अपने मठ में शिक्षा दिया करते थे। पर यहाँ शिक्षा देना का तरीका कुछ अलग था , गुरु का मानना था कि सच्चा ज्ञान मौन रह कर ही आ सकता है; और इसीलिए मठ में मौन रहने का नियम था । लेकिन इस नियम का भी एक अपवाद था , दस साल पूरा होने …
Read More »मेंढक का रखवाला
एक राजा अपनी वीरता और सुशासन के लिए प्रसिद्द था। एक बार वो अपने गुरु के साथ भ्रमण कर रहा था, राज्य की समृद्धि और खुशहाली देखकर उसके भीतर घमंड के भाव आने लगे , और वो मन ही मन सोचने लगे , ” सचमुच, मैं एक महान राजा हूँ , मैं कितने अच्छे से अपने प्रजा देखभाल करता हूँ !” …
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