तू ही है सब का दाता तू महावीर केहलाताजो चाहे मन से तुझको वो मन चाहा फल पातादर्शन तो हमे तुम दे देना भगती से भर देना| आशा के दीप जला कर हम तुम को दूर करेगे,रिक्त हिरदये में कर्म सनेह का अक्षय ध्यान भरे गेतेरे सन मुख हम सब मिल कर ज्योति माये दीप जलाएतेरे पद चिन्नो पे चल …
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