राधे राधे , राधे राधे , राधे राधे , राधे राधे राधे राधे, श्याम मिला दे जय हो राधे राधे, श्याम मिला दे गोवर्धन में, राधे राधे वृन्दावन में, राधे राधे कुसुम सरोवर, राधे राधे हर कुन्ज में, राधे राधे गोवर्धन में, राधे राधे पीली पोखर, राधे राधे मथुरा जी में, राधे राधे वृन्दावन में, राधे राधे कुन्ज कुन्ज में, …
Read More »Tag Archives: प्रेम
आजा आजा श्याम प्यारे, मुरली वेल प्रेम पुकारे
आजा आजा श्याम प्यारे, मुरली वेल प्रेम पुकारे, आजा आजा श्याम प्यारे, मुरली वेल प्रेम पुकारे, तुमसे हुमारा जीवन, तुमसे ही रोसन मेरी जिंदगी, प्रेम हमारी पूजा प्रेम हमारी श्याम बॅंडेज, तुमसे हुमारा जीवन, तुमसे ही रोसन मेरी जिंदगी, प्रेम हमारी पूजा प्रेम हमारी श्याम बॅंडेज, प्रेमी जानो से प्यारे, प्रेमी जानो से प्यारे, प्रेम निभा रे, आजा आजा श्याम …
Read More »जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे
जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे, जुल्मी कनउडो, जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलम करे, जुल्मी कनउडो, दिखान मेी यशोदा काँहो, सिधो सिधो लागे आए, तो चाल अजब टेढ़ी छाले, दिखान मेी यशोदा काँहो, सिधो सिधो लागे आए, तो चाल अजब टेढ़ी छाले, जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे, जुल्मी कनउडो, प्रेम को पाठ पढ़तो म्हाने डोले आए, तो बात कारया …
Read More »मेरे सपनो मे आते है, खाटु के बाबा श्याम
मेरे सपनो मे आते है, खाटु के बाबा श्याम, मेरे . मे आते है, खाटु के , सपनो मे दिखते है मुझको, खाटु के प्यारे नज़ारे, बैठे सिंघासन बाबा, करते है मुझको इशारे, सपनो मे दिखते है मुझको, खाटु के प्यारे नज़ारे, बैठे सिंघासन बाबा, करते है मुझको इशारे, वो हाथ हिलाते है, दर पे बुलाते है, थोड़ा मुस्काते है, मेरे …
Read More »बंटवारा नहीं होगा
दो भाई थे । अचानक एक दिन पिता चल बसे । भाइयों में बंटवारे की बात चली-”यह तू ले, वह मैं लूं, वह मैं लूंगा, यह तू ले ले ।” आए दिन दोनों बैठे सूची बनाते, पर ऐसी सूची न बना सके, जो दोनों को ठीक लगे । जैसे-तैसे बंटवारे का मामला सुलझने लगा, तो एक खरल पर आकर उलझ …
Read More »अच्छे व्यवहार का रहस्य
हम साधारण मनुष्य अक्सर किसी से नाराज़ हो जाते हैं या किसी को भला-बुरा कह देते हैं, पर संतो का स्वाभाव इसके विपरीत हमेशा सौम्य व् मधुर बना रहता है। संत तुकाराम का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था, वे न कभी किसी पर क्रोध करते और न किसी को भला-बुरा कहते। आइये इस कहानी के माध्यम से जानते हैं …
Read More »दूसरा दीपक
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा …
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