बारहवीं पुतली की कहानी को सुनकर जैसे ही राजा भोज महाराज विक्रमादित्य के सिंहासन की ओर बढ़े तभी वहां पर तेरहवीं पुतली आ गई। तेरहवीं पुतली का नाम कीर्तिमती था। उसने राजा भोज को यह पूछते हुए रोक लिया कि क्या राजा विक्रमादित्य में मौजूद सभी खूबियां आपके अंदर है? राजा भोज ने हाथ जोड़ते हुए निवेदन किया कि हे …
Read More »Tag Archives: अठारहवीं पुतली तारामती की कहानी
सिंहासन बत्तीसी की छठी कहानी – रविभामा पुतली की कथा!!
पांचवीं पुतली से महाराज विक्रमादित्य की कहानी सुनकर जैसे ही राजा भोज सिंहासन पर बैठने लगे, तभी उन्हें छठवीं पुतली रविभामा ने रोक लिया। उसने राजा से पूछा कि क्या सच में वो इस सिंहासन पर बैठने योग्य हैं। रविभामा ने पूछा, क्या आप में महाराज विक्रमादित्य का वो गुण है, जो उन्हें सिंहासन पर बैठने योग्य बनाता था। जब …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की सत्रहवीं कहानी – विद्यावती पुतली की कथा!!
राजा भोज एक बार फिर सिंहासन पर बैठने की इच्छा लेकर राजमहल पहुंचे। इस बार सिंहासन से 17वीं पुतली विद्यावती बाहर निकली और राजा भोज को सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। 17वीं पुतली विद्यावती ने कहा, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य की यह कहानी सुन लो।” इतना कहकर 17वीं पुतली ने विक्रमादित्य का किस्सा सुनाना शुरू किया …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की अठारहवीं कहानी – तारामती पुतली की कथा!!
18वीं बार फिर राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ें। उन्होंने सोचा कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, वो सिंहासन पर बैठकर ही रहेंगे। तभी सिंहासन से 18वीं पुतली तारामती बाहर निकली और राजा भोज को रोकते हुए बोली, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य का यह किस्सा सुनिए।” उसके बाद पुतली तारामती ने कहानी …
Read More »सिंहासन बत्तीसी की छब्बीसवीं कहानी – मृगनयनी पुतली की कथा!!
पच्चीवीं पुतली के द्वारा राज भोज महाराज विक्रमादित्य के गुणों को जानकर हर्षित हुए और उस स्थान से अपने महल की ओर रवाना हो गए। लेकिन अगल दिन फिर से उन्हें सिंहासन और महाराज विक्रमादित्य के गुणों का आकर्षण खींच लाया। जैसे ही राजा भोज सिंहासन की ओर बढ़े कि छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी प्रकट हो गई। उसने राजा भोजा को …
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