एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया । नारद जी को सामने देख ब्रम्हा जी ने पुछा, “नारद! आज कैसे आना हुआ ? तुम्हारे मुख के भाव कुछ कह रहे हैं! कोई विशेष प्रयोजन है अथवा कोई नई समस्या ?” नारद जी ने …
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