फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।और संग में सज रही है वृषभानु की दुलारी॥ टेडा सा मुकुट सर पर रखा है किस अदा से,करुना बरस रही है, करुना भरी निगाह से।बिन मोल बिक गयी हूँ, जब से छबि निहारी॥ बहिया गले में डाले जब दोनों मुस्कुराते,सब को ही प्यारे लगते, सब के ही मन को भाते।इन दोनों पे …
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