आया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के,मर्जी तेरी तू थाम ले चाहे विसार दे गैरो की छोड़ो जो कभी मेरे करीब थे,हसने लगे है आज वो भी मेरे नसीब पे,रोने भी न दिया मुझे अपनों ने मार केआया मैं तेरे द्वार पे दुनिया से हार के, रेहमत की तेरी दासता सुन कर जहान में,फर्यादी बन के आ गया …
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