तेरे दर पे मुकद्दर आज़माने मैं भी आया हूँ के हाल दिल तुम्हे सुनाने दाती मैं भी आया हूँ तिलक करती चन्दन से, कभी केसर से कुमकुम से जिगर के खून से टीका लगाने मैं भी आया हूँ तेरे दर पे मुकद्दर आज़माने मैं भी आया हूँ… कोई चूड़ा, कोई चुनरी, कोई चोला करे अर्पण मेरी पूँजी है बस आंसू, …
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