करुणानिधान मोपे कृपा कर रिझिए,बृज में बसाके मोहे सेवा सुख दीजिएप्रेम से भरदो मन, गाउँ तेरे भजन,रटूं तेरा नाम, मैं आठों याम…… भाव भरे भूषणो से आपको सजाऊँ मैं,नितनव् भोज निज हाथों से पवाऊं मैंकरो जब तुम शयन, दाबू तुमरे चरण,रटूं तेरा नाम, मैं आठों याम….. जब भी विहार करो, प्यारी संग सांवरे,फूल बन जाऊं जहां, धरो तुम पाँव रेबनके …
Read More »