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कलयुग की सच्चाई

रास रचिया सावरे , मनमोहन गोपाल

साँच कहूँ सूं सांवरिया मैं,झूठ बताता ना,बिन मतलब तो, बिन मतलब तो,श्याम कोई तेरे दर पे आता ना…… झूठ कपट राखें सै मन में,छप्पन भोग लगावे,सवामणी का लालच देकर,काम कराना चावे,शृद्धा से करमां सा खींचड़,कोई खुवाता ना,बिन मतलब तो, अरे बिन मतलब तो,श्याम कोई तेरे दर पे आता ना…… धन दौलत और कोठी बंगला,माँगे सोना चांदी,माँगे सोना चांदी, माँगे सोना …

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