मनमोहन घनश्याम जी , आन सवारो काज,लूट ना जाऊ आज में , रखो मेरी लाज| सावरे कान्हा तू मेरी लाज बचाले , लाज बचाले,की और मेरा कोई नही,पर्दा ना उठे मुझे दुनियाँ से उठा ले , दुनियाँ से उठा ले,की और मेरा कोई नहीं ……………. पंचो में दे बैठी जिनको अपना हाथ में,पाँच पति पाकर भी रह गई अनाथ में,हार …
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