दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती | राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का नाम पुकारती || कलिओं मे राम मेरा, किरणों मे राम है | धरती गगन मे मेरे प्रभु का धाम है || कहाँ नहीं राम है … प्रभु ही की धूप छाया, प्रभु की ही चांदनी | लहरों की वीना मे …
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