शरणागत को तारते , नटनागर गोपाल ,निशदिन भजिये सावरा ,गोविंद दीनदयाल,,,,,,, गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला ,मेरे नंदलाला मेरे गोपाला………….गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला ,,,,,,, बार बार उसने भक्तो को इन्तेहान में डालापर्वत से प्रहलाद को जिसने गेंद की तरह उछालामीरा सोना कुण्डन बन गई पीकर जहर प्यालापहले पिया प्याला बाद में आया मुरली वालागोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला,,,,,, उसको …
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